ज्येष्ठ माह का बड़ा मंगल आज,जानें कैसे हुई इस दिन की शुरुवात


ज्येष्ठ माह का बड़ा मंगल आज,जानें कैसे हुई इस दिन की शुरुवात

लखनऊ और जेठ माह के बड़े मंगल लखनऊ में रहने वालों के लिए ये कोई भी अपरिचित सा नहीं है, सभी को पता है कि  प्रत्येक वर्ष जेष्ठ माह के बड़े मंगल पर लखनऊ स्थित सभी हनुमान जी के मन्दिरों मे भारी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं, इसी क्रम में महानगर रामलीला समिति द्वारा एक विशाल भंडारे का अयोजन किया जा रहा है जो प्रातः10 बजे से सुंदर कांड के पाठ के उपरान्त आरम्भ किया जाएगा ।

बजरंग बली की आराधना सर्व फलदायी

कहते हैं कि लखनऊ में इस अवसर पर बजरंग बली की आराधना सर्व फलदायी है, और इस अवसर पर जगह जगह श्रद्धालुओं के द्वारा प्याऊ और भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। जो कि आज के समय में बहुत विशाल रूप धारण कर चुका है, पहले ये परंपरा सिर्फ शरबत और गुड़ चने के प्रसाद तक ही सीमित थी, कहीं कहीं पर फल भी वितरित किये जाते थे, लेकिन अब मुख्यतः पूड़ी और कद्दू आलू की सब्जी का प्रचलन हो गया है, लखनऊ स्थित अधिकांश चौराहे पर, मन्दिरों पर और घरों में भी ये भंडारे दिखने लगते हैं।

बड़े मंगल की शुरुआत कैसे हुई?

धर्म ग्रंथों की मानें तो ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को भगवान श्री राम की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। इसी वजह से ज्येष्ठ शास्त्रों के अनुसार चूँकि हनुमान जी बूढ़े ब्राह्मण का वेश रख कर, प्रभु श्री राम से मिले थे,तो इस दिन को  बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है, प्रचलित कथाओं के अनुसार इस माह का संबंध महाभारत और रामायण काल से है लेकिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ से भी बड़ा मंगल की कहानी जुड़ी है।

धूमधाम से मनाया जाता है बड़ा मंगल

इस शहर में बड़ा मंगल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि करीब 400 साल पहले अवध के मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, जिसकी वजह से उनकी बेगम बेहद दुखी रहती थी। हर संभव प्रयास के बाद भी जब उनका बेटा ठीक नहीं होता तो कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह की बेगम को लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगने को कहा। लोगों के कहे अनुसार उन्होंने ऐसा ही किया जिसके थोड़े दिन बाद बेटे की तबीयत में सुधार होने लगा।

ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को होता है भंडारे का आयोजन

इसकी खुशी में अवध के नवाब और उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई, जिसका कार्य ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ था। इसके बाद पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद बांटा गया। तब से बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद बांटना शुरू हुआ। ऐसा कहा जाता है कि तभी से यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है।

इतना ही नहीं बड़े मङ्गल के कुछ दिन पहले से लखनऊ में  हनुमान जी के युवा भक्त ,विशेष रूप से लड़के रात में बहुत दूर दूर से दंडवत परिक्रमा करते हुए, जमीन पर लोट लोट कर, अपने इष्ट को मनाने निकलते हैं, उनकी मां उनको पंखा झलते हुए साथ साथ चलती हैं। सुबह सुबह प्रभु के दर्शन का सुख पाकर, वरदान लेकर बाद में प्रसाद ग्रहण करके घर वापस जाते हैं।
आज के दिन ही  नहीं जेष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को पूरा लखनऊ बिना भेदभाव के बजरंगबली की भक्ति में डूबा रहता है। जगह जगह लगे भंडारों के कारण कोई भी भूखा नहीं रहता है।

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