तनाव प्रबंधन पर राजकीय महाविद्यालय लमगड़ा, अल्मोड़ा में गोष्ठी आयोजित


तनाव प्रबंधन पर राजकीय महाविद्यालय लमगड़ा, अल्मोड़ा में गोष्ठी आयोजित

आज राजकीय महाविद्यालय लमगड़ा, अल्मोड़ा में शिक्षा शास्त्र विभाग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। गोष्ठी का प्रमुख विषय था तनाव प्रबंधन । कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों का स्वागत कर किया गया | कार्यक्रम के संयोजक  हेमन्त कुमार बिनवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा कार्यशाला की रूपरेखा रखी गई |

तनाव प्रबंधन पर दिया व्याख्यान

तत्पश्चात कार्यक्रम के संयोजक हेमन्त कुमार बिनवाल द्वारा तनाव प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। तनाव (Stress) आज की भागदौड़ भरी जिंदगी का एक सामान्य हिस्सा बन गया है, लेकिन अगर इसका सही तरीके से प्रबंधन न किया जाए तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। तनाव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, और ये हर व्यक्ति के जीवन में भिन्न होते हैं:व्यक्तिगत जीवन की समस्याएँ: परिवारिक समस्याएँ, रिश्तों में तनाव, अकेलापन, बच्चों की चिंता, पेशेवर जीवन की समस्याएँ: नौकरी का दबाव, समय सीमा, सहकर्मियों के साथ मतभेद, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: शारीरिक रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ,जीवनशैली संबंधी कारण: खराब खानपान, पर्याप्त नींद न मिलना, शारीरिक गतिविधि की कमी। तत्पश्चात तनाव के लक्षण पर बात की गई, बताया गया कि  तनाव के लक्षण मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक हो सकते हैं: मानसिक लक्षण: चिंता, चिड़चिड़ापन, निर्णय लेने में कठिनाई, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, शारीरिक लक्षण: सिरदर्द, थकान, नींद न आना, हृदय गति का बढ़ना, भावनात्मक लक्षण: अवसाद, निराशा, डर, असहाय महसूस करना। वक्ता द्वारा तनाव प्रबंधन के विभिन्न तरीकों पर भी चर्चा की गयी|  तनाव प्रबंधन के तरीके कई हैं, जैसे ध्यान और योग का अभ्यास करना, नियमित शारीरिक गतिविधियाँ करना, समय का सही प्रबंधन करना, सकारात्मक सोच विकसित करना, सामाजिक समर्थन प्राप्त करना, पर्याप्त नींद और आराम लेना, स्वस्थ आहार का पालन करना, और गहरी सांस लेने की तकनीकों का उपयोग करना। छात्र छात्राओं को गहरी सांस लेने की तकनीक (Deep Breathing Exercises) के माध्यम से  तनाव मुक्त अभ्यास करवाया गया |

लगातार स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का उपयोग भी तनाव का मुख्य कारण

बताया गया कि लगातार स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का उपयोग भी तनाव का कारण हो सकता है। स्क्रीन टाइम को कम करना और सोशल मीडिया का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना मानसिक शांति को बनाए रखने में सहायक हो सकता है। एक डिजिटल डिटॉक्स लेना, जहां आप एक दिन या कुछ समय के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूर रहते हैं, भी तनाव कम करने में सहायक होता है। साथ ही हंसना तनाव को कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है। जो प्राकृतिक दर्द निवारक और तनाव को कम करने वाला होता है। इसलिए, रोज़ाना कुछ ऐसा करना जो आपको हंसाए, मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। हास्य की भावना विकसित करने से भी तनाव को हल्का किया जा सकता है।
तत्पश्चात महाविद्यालय की पुस्तकालय  लिपिक रेनू असगोला द्वारा बताया कि  तनाव से मुक्त रहने हेतु छात्र छात्राओं को नियमित योग से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि एकाग्रता और शारीरिक स्फूर्ति भी बढ़ती है। विभिन्न योग क्रियाएं प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)- अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम आदि को छात्र-छात्राओं के सम्मुख प्रदर्शित किया |

खराब जीवनशैली और संयुक्त परिवारों की कमी से तनाव बढ़ रहा

गोष्ठी को संबोधित करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ० साधना पंत ने छात्र छात्राओं को बताया कि खराब जीवनशैली और संयुक्त परिवारों की कमी से तनाव बढ़ रहा है। अस्वस्थ खानपान, नींद की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, और डिजिटल निर्भरता से मानसिक थकावट और तनाव होता है। वहीं, संयुक्त परिवारों में भावनात्मक समर्थन, सामूहिक समस्याओं का समाधान, और सामाजिक जुड़ाव मिलता था, जो अब न्यूक्लियर फैमिली में कम हो गया है। इससे अकेलापन और जिम्मेदारियों का बोझ बढ़कर तनाव का कारण बनता है।तनाव कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली, समय प्रबंधन, सोशल सपोर्ट, और परिवार के साथ अधिक संवाद जरूरी हैं।

इस अवसर पर उपस्थित जन

कार्यक्रम का संचालन विभाग के प्राध्यापक  हेमन्त कुमार बिनवाल द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संयोजक द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया | गोष्ठी में महाविद्यालय की प्राध्यापक डा रेनू जोशी, सिद्धार्थ गौतम, रेनू असगोला, डीएस नेगी, दीपक कुमार तथा बीए प्रथम सेमेस्टर, तृतीय सेमेस्टर के तमाम छात्र छात्राएं उपस्थित थे|

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