फर्जी छात्रवृत्ति घोटाले पर उत्तराखंड में SIT गठित

राज्य में मदरसों सहित कई संस्थानों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति हासिल करने के मामले में केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाई है। संसद के मानसून सत्र में हरिद्वार सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लिखित उत्तर देते हुए कहा कि सरकार ने इस प्रकरण को गंभीरता से संज्ञान में लिया है।

मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर मिली शिकायतों के आधार पर विभिन्न राज्यों में संदिग्ध संस्थानों की पहचान की गई है, जिनमें मदरसे भी शामिल हैं। इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने 24 जुलाई 2025 को आदेश जारी कर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। यह दल गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि छात्रवृत्ति वितरण को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल को आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम, आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से जोड़ा गया है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से अब छात्रवृत्ति सीधे पात्र छात्रों के खातों में पहुंच रही है। भविष्य में सभी छात्रवृत्ति योजनाओं को डिजिटल निगरानी तंत्र से जोड़ने की योजना है, ताकि फर्जीवाड़े और वित्तीय अनियमितताओं पर पूर्ण अंकुश लगाया जा सके।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि छात्रवृत्ति योजनाओं का मकसद गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग फर्जीवाड़े के माध्यम से इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई आवश्यक है।

रावत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू डिजिटल व्यवस्था से पारदर्शिता और जवाबदेही में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा चुके हैं।

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