डॉ ललित जोशी ✒️
कभी कभी मालूम नहीं चल पाता कि मैं क्या लिख रहा हूँ। मैं जो भी लिख रहा हूँ उसके पीछे अंदर की प्रेरणा है। जो मुझे लिखने को कह रही है। 2021 में बेतालेश्वर मंदिर के शिव जी को लेकर मैंने करीब 50 पंक्तियां लिख डाली। जिसमें से केवल 16 पंक्तियों ने बेतालेश्वर महिमा का रूप लिया। अन्य पंक्तियों को एक खंड काव्य भविष्य के लिए रख दिया है।2021 में लिखी हुई बेतालेश्वर महिमा को आज मैंने स्वयं पढ़ा तो सुखद लगा। सोचा कि आप लोगों के बीच साझा करूँ।
बेतालेश्वर महिमा
जै जै आदि देव महेश्वर
भूत-प्रेत कांपे भाजे डर ।
त्रिलोक थर-थर, थर-थर,
जै जै देव जै बेतालेश्वर ।
भगतों के तुम तारन हारे
तुम भोले हो अंतर्यामी ।
कण-कण में है व्याप्ति तुम्हारी
जै जै देव जै बेतालेश्वर ।
तुम कैलाश धाम के वासी।
जन में निर्जन, रहे उदासी।।
तुम ही मथुरा, तुम ही काशी
जै जै देव जै बेतालेश्वर ।।
चंद्र शीश पर धारण करते
तुम जटाधारी विश्वेश्वर ।
दुःख-दारिद्रय, भयनाशक स्वामी
जै नीलकंठ, हे बेतालेश्वर
जै जै जै देव बेतालेश्वर ।
▫️▪️▫️▪️▫️▪️▫️▪️▫️ डॉ ललित योगी