अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने 11 मार्च को देहरादून सचिवालय में दी कूच की चेतावनी

अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने 11 मार्च को देहरादून सचिवालय में कूच की चेतावनी

अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने 11 मार्च को देहरादून सचिवालय में दी कूच की चेतावनी

अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने 11 मार्च को देहरादून सचिवालय कूच की चेतावनी दी । उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत आशा एवं आशा फेसिलेटटर सन 2005 से स्वास्थ्य विभाग की सहायिका की तौर पर नियुक्त किए गए । अठारह साल बीत जाने के बावजूद भी आशा कर्मचारीयों को न्यूनतम मानदेय पर कार्य करना पड़ रहा है । लंबे समय से अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ ने आशा एवं आशा फेसिलेटटर के लिए शासन प्रशासन से गुहार लगाई ‌।

अभी तक नहीं हुई सकारात्मक कार्यवाही

प्रेस से वार्तालाप करते हुए उपाध्यक्ष आशा कर्मचारी संघ रेनू नेगी ने बताया कि सरकार की अनदेखी की वजह से अलग-अलग जिलों से उत्तराखंड सरकार के खिलाफ कई बार रैली व धरना प्रदर्शन करके भी अवगत कराया परन्तु उत्तराखंड राज्य सरकार ने आज तक आशा एवं आशा फेसिलेटटर को कोई निश्चित मानदेय व रिटायर्ड बेनिफिट के लिए सकारात्मक कार्रवाई नहीं की। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की आशा एवं आशा फेसिलेटटरों ने अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ के बैनर के तले एक दिवसीय विशाल रैली निकाल कर देहरादून सचिवालय कूच के लिए चेतावनी देते हुए अपने न्यूनतम मानदेय की बड़ोतरी व हरियाणा व केरल राज्य की तरह आशा कर्मचारियों को रिटायर्ड बेनिफिट दिये जाने के लिए आवाज उठाई है। रेनू नेगी आशा फेसिलेटटर प्रदेश महामंत्री/अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया सन् 2005 में हमको आशा कर्मचारी के तौर पर नियुक्त किया।

आशा वर्करों के लिए ना कभी उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने सोचा और ना उत्तराखंड सरकार ने सोचा

बाद में आशा कर्मचारी लोगों के लिए ज्यादा काम बढ़ने के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इन्हीं आशा कर्मचारियों में से सन् 2010 में एक आशा फेसिलेटटर नियुक्त किए जो आशा के द्वारा किये गये कार्य की पुष्टि के लिए व आशा की रेख देख के लिए।एक आशा फेसिलेटटर के अधीन 20 से 35आशा कार्यरत हैं। बड़े दुर्भाग्य की बात है इतनी महंगाई आसमान छू रही है। लेकिन आशा वर्करों के लिए ना कभी उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने सोचा और ना उत्तराखंड सरकार ने सोचा। इन्हीं आशा कर्मचारियों को हरियाणा राज्य में दो लाख रिटायर्डमैट बेनिफिट व केरल राज्य में तीन रिटायरमेंट बेनिफिट दिया जा रहा है। परन्तु उत्तराखंड में क्यों नहीं हमारे उतराखंड की आशा भी वही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत हैं जो हरियाणा व केरल की आशा कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *