सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग, स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र द्वारा यूजीसी,इंटर यूनिवर्सिटी,सेंटर फॉर योगिक साइंसेज,बंगलुरू के सहयोग सेरोल ऑफ योग इन हॉलिस्टिक हेल्थ एंड वेल बीइंग (ए ट्रिब्यूट टू स्वामी विवेकानन्द) विषय पर दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई।
योग विभाग की उपलब्धि को साझा किया
जिसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के मुख्य अतिथि और कुलपति प्रतिनिधि प्रो० गिरीश चन्द्र साह (परीक्षा नियंत्रक),कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में प्रो०प्रवीण सिंह बिष्ट (परिसर निदेशक), विशिष्ट अतिथि प्रो. इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), विशिष्ट अतिथि प्रो. मधुलता नयाल (निदेशक,शोध एवं प्रसार निदेशालय), विशिष्ट अतिथि प्रो. आराधना शुक्ला (पूर्व संकायाध्यक्ष, कला), डॉ.रजनी नौटियाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल), डॉ विनोद नौटियाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय HNB विश्वविद्यालय, गढ़वाल), कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ. नवीन भट्ट , कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत ने सरस्वती चित्र एवं भारत माता चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। संचालन रजनीश जोशी ने करते हुए हुए कॉन्फ्रेंस के उद्देश्यों से परिचित करवाया और योग विभाग की उपलब्धि को साझा किया।
अल्पकाल में विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराया
कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉ० नवीन भट्ट ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों की प्रासंगिकता आज के समय में भी बनी हुई है। स्वामी जी को ईश्वर ने कुछ विशेष करने के लिए भेजा था। उन्होंने अल्पकाल में विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराया। अल्मोड़ा वैदिक शिक्षा केन्द्र की स्थापना का स्वप्न उनका रहा, आज उनके स्वप्न को साकार करने के लिए योग विज्ञान विभाग अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययनकेंद्र कार्य कर रहा है। देश विदेश में सोबन सिंह जीना परिसर के विद्यार्थियों की मांग बढ़ रही है। उत्तराखंड सरकार द्वारा योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए कार्य कर रही है। भविष्य में योग विभाग एक उच्च संस्थान बनेगा।
मनोविज्ञान की दृष्टि से योग आज के भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए आवश्यक है
विशिष्ट अतिथि प्रो० मधुलता नयाल (निदेशक,शोध एवं प्रसार निदेशालय) ने उद्बोधन में कहा कि योग आज के समय की आवश्यकता है। कोरोनाकाल में योग का महत्व बढ़ा है। ज्यादा तनाव लेने पर स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ऐसे में योग अपनाकर अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं। मनोविज्ञान की दृष्टि से योग आज के भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए आवश्यक है। उन्होंने सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों की चर्चा की।
योग से मनोशारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है
विशिष्ट अतिथि प्रो. आराधना शुक्ला (पूर्व संकायाध्यक्ष, कला) ने कहा कि योग से मनोशारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है। योग जीवन के करीब है। कोरोनाकाल में योग की महत्ता उजागर हुई। आज योग घर घर में किया जा रहा है। योग की सहायता से पारब्रह्म परमेश्वर से जुड़ते हैं। उन्होंने योग विज्ञान विभाग के डॉ नवीन भट्ट के प्रयासों की सराहना की।
कुछ समय से योग का प्रसार तीव्रता के साथ भारत एवं विश्व में आगे बढ़ रहा है
विशिष्ट अतिथि प्रो. इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण) ने कहा कि योग पुराना ज्ञान है। कुछ समय से योग का प्रसार तीव्रता के साथ भारत एवं विश्व में आगे बद्व रहा है। आज का युवा सोशल मीडिया, मोबाइल से ग्रस्त है। ऐसे में उसका मन विचलित हो रहा है। अतः योग उस विचलन को दूर करता है, तनाव कम करता है, सकारात्मक बनाता है। अगर हमको सकारात्मक रहना है तो योग को जीवन में अपनाना है। उन्होंने योग विभाग सराहना की।
डॉ.रजनी नौटियाल (केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल) ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का योग विज्ञान विभाग स्वामी विवेकानन्द जी के स्वप्न को साकार कर रहा है। वह योग के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहा है। डॉ० विनोद नौटियाल (पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान विभाग,केंद्रीय विश्वविद्यालय HNB, गढ़वाल) ने उद्बोधन में कहा कि योग का भाव है भेदना। योग भाव से जुड़ा है। अपने भाव को शुद्ध करें, योग स्वयं सफल हो जाएगा। योग विज्ञान विभाग के संदर्भ में कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थी जापान आदि देशों में प्रशिक्षण ले रहे हैं, ये गर्व की बात है। कर्म करें, ज्ञान अर्जन करें, भक्ति कर ईश्वर से जुडें,योग सफल हो जाएगा।
योग अपनाकर हम अपने स्वास्थय एवं मन को बेहतर बनाएं
मुख्य अतिथि और कुलपति प्रतिनिधि प्रो० गिरीश चन्द्र साह (परीक्षा नियंत्रक) ने योग विभाग के कार्यक्रम विश्वविद्यालय की उपलब्धि है। विवेकानन्द जी ने शिकागो में दिया हुआ उद्बोधन ही भारत् की आत्मा को अभिव्यक्त किया। योग से बीमारी का समाधान होता है। योग से शरीर में लचीलापन आता है। यह सतत प्रक्रिया है। कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में प्रो० प्रवीण सिंह बिष्ट (परिसर निदेशक) ने अपने उद्बोधन में कहा आज स्वामी विवेकानन्द जी की पुण्य तिथि है। आज से दो वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना हुई। आज यह संस्थान योग का प्रसार हो रहा है। योग के लिए अपना योगदान देना चाहिए। हम समय का प्रबंधन कर अपने लिए समय निकालें। योग अपनाकर हम अपने स्वास्थय एवं मन को बेहतर बनाएं। उन्होंने कॉन्फ्रेंस की सफलता की कामना की।
कई शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े
इससे पूर्व योग विज्ञान विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत, वंदना का गायन कर अतिथियों का बैज अलंकरण कर स्वागत किया।इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के संचालन शोध छात्रा रजनीश जोशी ने किया।इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में योग विज्ञान विभाग के डॉ० लल्लन सिंह, हेमलता अवस्थी, गिरीश अधिकारी और योग विज्ञान विभाग के सभी छात्रों ने सहयोग दिया।कॉन्फ्रेंस के द्वितीय एवं तृतीय सत्र विवेकानन्द जी से संबंधित रहे। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो०आराधना शुक्ला, सह अध्यक्षता डॉ०विनोद नॉटियॉल एवं डॉ० मुकेश सामंत ने की। तीसरे सत्र में बीज वक्ता डॉ० ममता असवाल, अध्यक्षता प्रो० दिवा भट्ट, सह अध्यक्षता डॉ०महेंद्र मेहरा, डॉ० मदन चड्ढा ने की। इन सत्रों में कई शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े।
इस अवसर पर उपस्थित रहे
कॉन्फ्रेंस में प्रो०जया उप्रेती (संकायाध्यक्ष, विज्ञान), डॉ मुकेश सामंत (कुलानुशासक),डॉ धनी आर्य (विभागाध्यक्ष वनस्पति), डॉ लल्लन सिंह, डॉ ममता असवाल, डॉ ममता पंत, डॉ कुसुमलता आर्या, इंजीनियर रवींद्र नाथ पाठक, हेमलता अवस्थी, गिरीश अधिकारी, डॉ मदन चन्द्र (टनकपुर महाविद्यालय),डॉ ललित जोशी (एमडी,खटीमा), मुरलीधर कापड़ी,डॉ प्रीति टम्टा, डॉ रुचि कक्कड़, डॉ योगेश मैनाली, डॉ सुनीता कश्यप, डॉ कविता के साथ कई संख्या में शिक्षक, योग के विद्यार्थी उपस्थित रहे।