कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने पूरे देश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन लागू करने की मांग के साथ एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति को भेजा है।जिसमें उन्होंने कहा है कि जब पांच साल तक पद में रहने वाले राजनेताओं,सांसदों, विधायकों को भारी भरकम पेंशन मिल सकती है तो उन कर्मचारियों को को क्यों नहीं जो अपनी जिन्दगी के तीस से चालीस साल जनता की सेवा/ शासकीय कार्य को दे देते हैं? उन्होंने कहा कि यहां पर क्यों समानता का सिद्धांत लागू नहीं होता?
पेंशन ही है जो कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा होती है
पत्र में बिट्टू कर्नाटक ने कहा है कि अपनी जिंदगी के 30 से 40 वर्ष सरकार को देने के बाद एक पेंशन ही है जो कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा होती है।यदि ऐसे में कर्मचारियों से उनकी इस पेंशन को ही छीन लिया जाएगा तो उनका बुढ़ापा किस तरह कटेगा यह सोचनीय विषय है।उन्होंने कहा कि राजनेताओं,सांसदों, विधायकों को भारी भरकम पेंशन देने में जब सरकार को कोई दिक्कत नहीं है तो ऐसे में कुछ हजार पेंशन पाने वाले कर्मचारियों की पेंशन क्यों बंद की गई?उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी कर्मचारी केवल अपनी पेंशन पर ही आश्रित रहता है।पेंशन के अलावा उसके पास अपने जीवन यापन के लिए अन्य कोई आय का स्रोत नहीं होता। ऐसे में कर्मचारियों की पेंशन को बंद किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
पहले विधायकों ,सांसदों को मिलने वाली पेंशन सरकार तत्काल प्रभाव से बंद करे
बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि यदि कर्मचारियों की पेंशन से इतना दबाव सरकार को पढ़ रहा है तो सबसे पहले विधायकों ,सांसदों को मिलने वाली पेंशन सरकार तत्काल प्रभाव से बंद करे, उन्होंने कहा कि नेता जितने बार चुनाव जीतते हैं उन्हें उतने बार दी जाने वाली पेंशन को भी तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। अपने वेतन और पेंशन की बढ़ोतरी के लिए सांसद/ विधायक एक होकर सर्वसम्मति से निर्णय लेते हैं किंतु कर्मचारियों के लिए यह निर्णय भिन्न हो जाता है।बिट्टी कर्नाटक ने कहा की पुरानी पेंशन में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50% तक निश्चित पेंशन मिलती है लेकिन वर्तमान में लागू एनपीएस में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू होता है जबकि नई पेंशन योजना में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता।उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी।यह पेंशन कर्मचारियों के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी।इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारियों की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी। लेकिन इस स्कीम को साल 2004 में बंद कर दिया गया।उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को काफी फायदे थे।इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी।
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती
पुरानी पेंशन स्कीम में अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों की मृत्यु हो जाए तो उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती है। उन्होंने कहा की पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है।पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता और मेडिकल बिलों की रिम्बसर्मेंट की सुविधा भी दी जाती है।श्री कर्नाटक ने साफ शब्दों में महामहिम से मांग की कि कर्मचारियों के हित में पूरे देश में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को लागू किया जाए।