आज उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने प्रेसवार्ता कर प्रदेश सरकार के प्रति गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा की स्वास्थ्य सेवाएं इतनी लचर हो चुकी हैं कि अल्मोड़ा के चिकित्सालय ले जाते समय मरीज के घर वालों को इतना विश्वास भी नहीं होता कि उनका मरीज सही सलामत घर लौटेगा या नहीं।
मेडिकल कॉलेज एक कंक्रीट की बिल्डिंग के नाम पर सफेद हाथी
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को उन्होंने सिर्फ एक कंक्रीट की बिल्डिंग के नाम पर सफेद हाथी करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मेडिकल कालेज में ब्लड बैंक ना होने के कारण एक प्रसूता की जान चली गयी।विगत माह टाटिक में हुई कार दुर्घटना में बच्चों को हल्द्वानी ले जाने के लिए मेडिकल कॉलेज के पास एम्बुलेंस तक नहीं थी। जो एम्बुलेंस थी वो इस इस हालत में थी कि दर्जनों लोगों के द्वारा धक्का लगाए जाने के बाद वो स्टार्ट हो सकी। मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सक तक प्रदेश सरकार उपलब्ध नहीं करवा पा रही। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा जिला मुख्यालय में मेड़िकल कॉलेज के होते हुए जब स्वास्थ्य सेवाएं जानलेवा बनी हुई है तो स्वत: ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि समूचे पर्वतीय क्षेत्र का क्या हाल होगा? उन्होंने कहा आज अल्मोड़ा मुख्य शहर की सड़कें रानीधारा,धार की तुनी- एनटीडी,गैस गोदाम लिंक सड़क इतनी बदतर स्थिति में है कि जंगलों के अन्दर बने कच्चे रास्ते भी इनसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा की मुख्य एल आर साह रोड शिवालिक होटल से मिलन चौक तक गड्ढों से भरी है।दिखावे के लिए शहर की सड़कों में तीन दिन पहले घटिया डामरीकरण के टल्ले लगाकर अपना पल्ला विभाग द्वारा झाड़ लिया गया। उन्होंने कहा कि हमें अपना शहर बचाना है और इसके लिए हम किसी पर आश्रित नहीं रहेंगे।
राज्य आन्दोलन की तरह ही एक वृहद आन्दोलन चलाना पड़ेगा
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग,लोक निर्माण विभाग और सरकार यदि अब भी नींद से नहीं जागे तो अल्मोड़ा में स्वास्थ्य सुविधाएं और सड़क की दशा सुधारने के लिए उन्हें राज्य आन्दोलन की तरह ही एक वृहद आन्दोलन चलाना पड़ेगा जो राजनीतिक ना होकर पूरी तरह जनहित में होगा। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा की जनता को सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर बरगलाने वाले नेता अब बिल्कुल नहीं चाहिए।आज उत्तराखंड बने से जिस अल्मोड़ा ने बीस साल आगे जाना चाहिए था वो आज स्वास्थ्य और सड़क के मामले में बीस साल पीछे चला गया है जो अल्मोड़ा से पलायन का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरी तरह से वे निर्वाचित जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं जिन्हें आज तक उत्तराखंड की जनता ने सदन भेजने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य और सड़क के नाम पर अल्मोड़ा की जनता को लगातार छला जा रहा है जो अब बर्दाश्त की सीमा से बाहर है।