सोबन सिंह जीना परिसर में फणीश्वरनाथ रेणु की जयंती मनाई गई
सोबन सिंह जीना परिसर के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में हाइब्रीड मोड में फणीश्वरनाथ रेणु की जयंती मनाई गई।
जयंती अवसर पर डॉ बचन लाल ने संचालन करते हुए फणीश्वरनाथ रेणु के जीवन से संबंधित बातें साझा की। उन्होंने गोष्ठी की रूपरेखा भी प्रस्तुत की।
फणीश्वरनाथ रेणु, प्रेमचंद के बाद हिंदी जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं
इस अवसर पर डॉ.प्रीति आर्या ने फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य की चर्चा की। उन्होंने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।
गोष्ठी में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट ने अध्यक्षता करते हुए कहा- रेणु ने ग्रामीण जनता से जुड़े पहलुओं को अपने कथा साहित्य में स्थान दिया है। वे प्रेमचंद के बाद हिंदी जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं। फणीश्वरनाथ रेणु का साहित्य आंचलिकता के नजदीक है। उन्होंने प्रेमचंद और रेणु के साहित्य पर तुलनात्मक दृष्टि केंद्रित की। उनके साहित्य में लोक रीतियाँ, रूढ़ियाँ, संसार, जातियां संबंधी कई विषय हैं। उनका साहित्य हिंदी कथा साहित्य में उत्कृष्ट स्थान रखता है।
डॉ तेजपाल सिंह ने रेणु के रचना संसार पर वृहद रूप से दृष्टि केंद्रित की। उन्होंने उनके उपन्यासों , कहानियों एवं अन्य साहित्य की जानकारी दी।
डॉ प्रतिमा, डॉ आशा शैली, लक्ष्मण वृजमुख ने भी विचार रखे।
इस अवसर पर डॉ गीता खोलिया, प्रो अनिल जोशी, प्रो शेखर जोशी (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), प्रो सिध्देश्वर सिंह, डॉ ममता पंत, डॉक्टर माया गोला, डॉ धनी आर्या, डॉ श्वेता चनियाल, डॉ लता आर्या, डॉ आशा शैली, डॉ काली चरण, डॉ ललित जोशी,आशा सैनी, जयवीर सिंह नेगी उपस्थित रहे।