अपरा एकादशी आज, जानें ये पौराणिक कथा

अपरा एकादशी आज, जानें ये पौराणिक कथा

आज अपरा एकादशी का व्रत यानी 2 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यताएं हैं कि महाभारत काल में श्रीकृष्‍ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की पूजा करने और यह व्रत रखने की सलाह दी थी। इस व्रत को करने से इंसान के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

जानें ये पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में महीध्वज नाम का राजा रहता था। उसके छोटे भाई का नाम वज्र​ध्वज था, जो पापी व्यक्ति था। वह क्रूर, अपयश पाने वाला, अधर्म करने वाला था।  वह महीध्वज के प्रति द्वेष रखता था। एक रात उसने अपने बड़े भाई महीध्वज की हत्या कर दी और शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में दफन कर आया। जिस कारण  महीध्वज प्रेत बन गया और उस पीपल के पेड़ पर ही निवास करने लगा।  वह आसपास बड़ा ही उपद्रव करता था। एक दिन उस स्थान से धौम्य ऋषि जा रहे थे। उन्होंने प्रेत बने राजा को उस पेड़ पर देखा। उन्होंने अपने तप के बल से महीध्वज के अतीत को जान लिया। उसके बाद उन्होंने उस प्रेत को पेड़ से नीचे उतार कर परलोक विद्या का ज्ञान दिया।

स्वर्ग की प्राप्ति हुई

उस प्रेत को मुक्ति दिलाने के लिए धौम्य ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत रखा। विधि विधान से व्रत और पूजा करने के बाद धौम्य ऋषि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि इस व्रत का पूरा पुण्य प्रेत बने राजा महीध्वज को मिल जाए। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर अपरा एकादशी व्रत के पुण्य को महीध्वज को दे दिया। जिसके प्रभाव से वह प्रेत योनि से मुक्त हो गया। उसे एक दिव्य शरीर प्राप्त होने के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

जानें तिथि

इस वर्ष अपरा एकादशी दो दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, 2 जून के दिन सुबह 05:04 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी, जो 3 जून के दिन सुबह 02:41 मिनट तक रहेगी। गृहस्थ लोग 2 जून के दिन यह व्रत रखेंगे। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग 3 जून के दिन यह व्रत रखेंगे।

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