महिला और बाल विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त तक बढ़ा दी है।
इन क्षेत्रों में दिया जाता है पुरुस्कार
राष्ट्रीय स्तर का यह पुरस्कार वीरता, खेल, समाज सेवा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, कला और संस्कृति तथा नवाचार के क्षेत्र में दिया जाता है।प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के हर विजेता को एक पदक, एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। इसके साथ पुरस्कार विजेताओं को 1 लाख रुपये का नकद भी पुरस्कार के तौर पर दिए जाते हैं।
18 वर्ष से कम उम्र के लोग करें आवेदन
मंत्रालय ने बताया है कि कोई भी भारतीय जिसकी आयु आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि तक 18 वर्ष से अधिक नहीं है, पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है। कोई अन्य व्यक्ति भी किसी योग्य बच्चे को पुरस्कार के लिए नामांकित कर सकता है। आवेदन आधिकारिक पोर्टल www.awards.gov.in पर भेजे जा सकते है।
आजादी के दस साल बाद कुछ इस तरह हुई शुरुवात
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत साल 1957 यानी कि आजादी के 10 साल बाद की गई थी। 2 अक्टूबर 1957 को गांधी जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें आतिशबाजी का कार्यक्रम भी रखा गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू भी आतिशबाजी कार्यक्रम का लुत्फ ले रहे थे। तभी अचानक शामियाने में आग लग गई। सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने आग के रूप में मौत तांडव कर रही थी। लोगों की भीड़ में एक 14 साल का बच्चा हरीश चंद्र मेहरा भी मौजूद था। उसने आग को देखकर अपने होश नहीं गंवाए। उसने
हिम्मत जुटाई और वहां से ना केवल खुद बल्कि बाकी लोगों को बचाने के बारे में भी तेजी से सोचना शुरू कर दिया। फिर उसने एक चाकू की मदद से जलते हुए शामियाने को फाड़ा और लोगों को बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। हरीश चंद्र मेहरा ने अपनी सूझबूझ और हिम्मत से ना सिर्फ खुद को बचाया बल्कि उस कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों लोगों की जान बचा ली । घटना के बाद पं. नेहरू ने देश के बहादुर बच्चों को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार शुरू करने का आदेश दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि एक ऐसी संस्था बनाई जाए, जो देशभर से ऐसे बहादुर बच्चों को चुने और उनको पुरस्कार देकर सम्मानित करे। इसके बाद उसी साल राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत कर दी गई। समय के साथ इसमें नई-नई श्रेणियां जोड़ी जाती रहीं। फिर इसका नाम भी बदला गया। अब इसके तहत असाधारण उपलब्धियों के साथ ही असाधारण योग्याताओं वाले असाधारण बच्चों को भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
2018 में, दोनों पुरस्कारों को प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में जोड़ दिया गया
बाल कल्याण पुरुस्कार, जो पहले राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार था, 1979 में महिला एवम बाल विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था, और बाल शक्ति पुरस्कार, जो पहले राष्ट्रीय बाल पुरस्कार था, 1996 में गैर सरकारी संगठन भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा स्थापित किया गया था। 2018 में, दोनों पुरस्कारों का नाम बदल दिया गया और उन्हें प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में जोड़ दिया गया, जिसे महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को सम्मानित करने के मकसद से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार को शुरू किया गया था। हर साल केंद्रीय मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए बच्चों का चयन किया जाता है । ये पुरस्कार छह श्रेणियों में दिया जाता है। जिनमें कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार (इनोवेशन), शैक्षणिक, सामाजिक सेवा और खेल में उत्कृष्टता के लिए दिया जाता है।