सेना दिवस आज, जानिए भारतीय सेना में कुमाऊं रेजिमेंट का इतिहास

सेना दिवस आज, भारतीय सेना में कुमाऊं रेजिमेंट का इतिहास

15 जनवरी 1949 के दिन फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। यह भारतीय सेना के लिए बेहद खास मौका था क्योंकि इस दिन फील्ड मार्शल के एम करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने। इसलिए हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।

कुमाऊं रेजिमेंट का इतिहास

27 अक्टूबर 1945 को ‘हैदराबाद रेजिमेंट’ का नाम बदलकर ‘द कुमाऊं रेजिमेंट’ नाम कर दिया गया और उत्तराखंड के रानीखेत में ‘कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर’ की स्थापना की गई। यह रेजिमेंट कुमांऊँ नामक उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र के निवासियों से सम्बन्धित भारतीय सैन्य-दल है। वर्तमान में ‘कुमाऊं रेजिमेंट’ की कुल 21 बटालियनें हैं। कुमाऊं रेजिमेंट के रेजिमेंटल केन्द्र रानीखेत में कुमाऊं क्षेत्र से स्थानीय निवासियों की, और मैदानी इलाकों से अहीरों की भर्ती होती है।

कुमाऊं रेजिमेंट की वीरगाथा

भारतीय सेना के इतिहास में कुमाऊं रेजिमेंट का गौरवशाली इतिहास सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है। कुमाऊँ रेजिमेंट को 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान तथा 1962 के भारत और चीन युद्ध के लिये विशेष रूप से गौरवपूर्ण माना जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, भारत की स्वतंत्रता से पहले से ही कुमांऊँ रेजीमेंट की बहादुरी और पराक्रम का इतिहास अनूठा रहा है। इस रैजीमेंट ने मराठा युद्ध (1803), पिन्डारी युद्ध (1817), भीलों के विरुद्ध युद्ध (1841), अरब युद्ध (1853), रोहिल्ला युद्ध (1854) तथा भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम, झॉंसी (1857) इत्यादि युद्धों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रथम विश्व युद्ध में इस रेजिमेंट ने फ़िलिस्तीन, पूर्वी अफ़्रीका व अफ़ग़ानिस्तान, फ्रांस और टर्की  में अपना युद्ध कौशल दिखाया था। इतना ही नहीं,  द्वितीय विश्व युद्ध में भी इस रेजिमेंट की पल्टनों ने मलाया, बर्मा व उत्तरी अफ़्रीका समेत कई अन्य देशों में अपने पराक्रम से दुश्मन के हौसलों को पस्त किया था।

वीरता के इन सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित है कुमाऊं रेजिमेंट

कुमाऊं रेजिमेंट भारतीय सशस्त्र सेना के वीरता का प्रथम सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित है। भारतीय सेना की ‘कुमाऊं रेजिमेंट’ को अब तक वीरता के लिए 2 परमवीर चक्र, 10 महावीर चक्र, 78 वीर चक्र, 4 अशोक चक्र, 6 कीर्ति चक्र, 23 शौर्य चक्र, 1 युद्ध सेवा मेडल, 2 उत्तम युद्ध सेवा मेडल, 8 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 36 विशिष्ट सेवा मेडल, 127 सेना मेडल, 01 अर्जुन पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा रेजिमेंट  दो पद्मभूषण सम्मान भी प्राप्त हैं। ‘कुमाऊं रेजिमेंट’ की बटालियनों ने 17 से अधिक बार ‘यूनिट साइटेशन’ भी प्राप्त किया है।

कुमाऊं रेजिमेंट है देश के प्रथम परमवीर चक्र से सम्मानित

मेजर सोमनाथ शर्मा कुमांऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे जिन्होंने भारत-पाक युद्ध (1947) के दौरान अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी। उन्हें  मरणोपरान्त भारत के प्रथम परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके बाद मेजर शैतान सिंह जो कुमांऊँ रेजिमेंट की तेरहवीं बटालियन की चार्ली कंपनी से थे, उन्होंने 1962 में भारत-चीन के रेज़ांग ला युद्ध के दौरान अतुल्य पराक्रम का परिचय दिया जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।

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