सोशल मीडिया पर अपने लोकगीतों से धूम मचा रही आशा नेगी
अल्मोड़ा जिले की 46 वर्षीय प्रसिद्ध लोकगायिका आशा नेगी इन दिनों सोशल मीडिया पर अपने लोकगीतों से धूम मचा रही हैं। कोट गांव (मायका) और खाई गांव (ससुराल) से ताल्लुक रखने वाली आशा ने 28 वर्षों से उत्तराखंड के लोकगीतों जैसे रजूला, मालू शाही, जागर, झोड़ा चांचरी और देशभक्ति गीतों को समर्पित किया है।
उत्तराखंड के लोकगीतों को देशभर में किया मशहूर
कुमाऊं और गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में उनकी पहचान एकमात्र ऐसी गायिका के रूप में है, जिन्होंने टैप रिकार्डर और डीवीडी, सीडी के माध्यम से उत्तराखंड के लोकगीतों को देशभर में पहुंचाया है। उनके योगदान के लिए उन्हें 2017 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया और 2022 में उन्हें भारतीय महिला शक्ति सम्मान से नवाजा गया।
ऐसे की लोकगीत गाने की शुरुवात
आशा नेगी ने बचपन में खेतों और जंगलों में घास काटते समय लोकगीत गुनगुनाने से शुरुआत की और धीरे-धीरे मंचों पर अपनी मधुर आवाज से सभी के दिलों में जगह बनाई। उनके गीतों में उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं की झलक मिलती है, जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती है।
लोकगायिकाओं को मिलने चाहिए सामान अवसर
सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने उत्तराखंड सरकार और सांस्कृतिक विभाग से आग्रह किया है कि आशा जैसी लोकगायिकाओं को राज्य के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विशेष सम्मान और अवसर दिए जाने चाहिए ताकि वे अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को और भी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकें।