मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का त्यौहार आज,जानें पौराणिक कथा
मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी का त्यौहार आज देशभर में 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से किये जाने से विद्या और ज्ञान का आर्शीवाद मिलता है। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही मां सरस्वती की पीले पुष्प या सफेद पुष्पों से मां की उपासना करें । इससे विद्या और ज्ञान का आर्शीवाद मिलता है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। कहते हैं कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
कैसे करें पूजन
इस दिन सुबह जल्दी सुबह उठ कर घर की सफाई कर स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। मां सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा को पूजा वाली जगह पर स्थापित करें। माता सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा के बगल में भगवान गणेश की मूर्ति जरूर रखें। इस दिन पूजा वाली जगह पर कोई पुस्तक,वाद्य यंत्र या कोई भी कलात्मक चीज अवश्य रखें।इसके बाद एक साफ़ थाली या प्लेट में कुमकुम, हल्दी, चावल, और फूलों से सजा कर भगवान गणेश और मां सरस्वती की पूजा करें। इसके बाद मां सरस्वती के मंत्रों का उच्चारण करें।
चलिए जानतें हैं पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। कथा के अनुसार एक दिन ब्रह्माजी संसार का भ्रमण करने निकले, तो उन्हें सारा संसार मूक नजर आया, हर तरफ खामोशी छाई हुई थी। यह देखकर ब्रह्माजी को यह लगा कि संसार की रचना करते हुए शायद कोई कमी रह गई है। ब्रह्माजी जी एक स्थान पर रुके और अपने कमंडल से थोड़ा से जल निकालकर छिड़क दिया। तब एक ज्योतिपुंज के साथ देवी प्रकट हुईं। देवी के हाथ में वीणा और चेहरे पर अत्यन्त तेज झलक रहा था। यह देवी मां सरस्वती थीं। उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया। उसके बाद ब्रह्माजी ने मां सरस्वती से कहा कि इस संसार में सभी लोग मूक है, यह आपसी संवाद नहीं कर सकते हैं। मां सरस्वती के प्रकट होने के बाद ब्रह्माजी ने देवी से कहा कि इस संसार में सभी लोग बिल्कुल शांत हैं। ये लोग सिर्फ चल रहे हैं। आपस में इनके बीच कोई बात चीत नहीं है। ब्रह्मा जी की ऐसी वाणी को सुन देवी सरस्वती ने उनसे पूछा- हे प्रभु, मेरे लिए क्या है, आज्ञा दीजिए! इसपर ब्रह्माजी ने देवी सरस्वती को जवाब देते हुए कहा- हे देवी, आपको अपनी वीणा की मदद से इन लोगों को ध्वनि प्रदान करना है। ताकि ये लोग आपस में संवाद कर सकें और एक दूसरे की परेशानियों का हल कर सकें। इसके बाद से मां सरस्वती ने संसार मे सभी को आवाज प्रदान की।