दांतों की सुरक्षा आज करें..एक नहीं बार बार करें…. डा. योगी की कविता ‘दांत’

दांत

जब दांतों में सड़न हो,
तो जड़ें हिलने लगती हैं।
गाल से कान तक धंसी नसें
सड़ सड़ सड़कने लगती हैं
कान भी कम सुनने लगते हैं
तब छटपटाहट में लहसुन पीसकर
लगाने का ख्याल आता है

दांत जब दर्द करने लगते हैं
तो भौंहें-पलकें सूज जाती हैं
दाढ़ भी दुःखने लगते हैं
चेहरे की सूजन में आंख,
बंद हो, भरने लगती है
दांत जब खराब होते हैं तो
डॉक्टर नहीं! पहले पहल
दर्द कम करने ख्याल आता है।
तब होती है कोई-
ईश्वरीय चमत्कार की आस।
तब याद आते हैं तैंतीस करोड़ देवी-देवता
हे प्रभु! दर्द देना पर दांत न सड़ाना
चोट देना पर दांत दर्द न देना!

वर्षों से सड़ाये हुए दांतों में,
आरसीटी कराने का आता है ध्यान
तब बनते हैं हम महान जागरूक,
तब बनते हैं हम खुद ही डॉक्टर
तब मन से निकले शब्द यूं कहते हैं-
दांतों की सुरक्षा आज करें!
एक नहीं बार बार करें
चाहे दिन हो या रात करें,
बड़ी शिद्दत के साथ करें।
वरना मरीज बनकर,
डेंटिस्ट के पास रहें।

डा. ललित योगी

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