माननीय न्यायालय सीनियर सिविल जज अल्मोड़ा रविंद्र देव मिश्र की अदालत ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के वाद को खारिज़ कर दिया।
जानें पूरा मामला
प्रार्थिनी कल्पना देवी उर्फ सोनू पुत्री रणजीत सिंह उर्फ़ रणधीर सिंह महिपाल निवासी ग्राम डोबा तहसील व ज़िला अल्मोड़ा ने माननीय न्यायालय सीनियर सिविल जज अल्मोड़ा की अदालत में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का केस दायर किया था। प्रस्तुत वाद में प्रार्थिनी कल्पना देवी उर्फ सोनू ने भारतीय स्टेट बैंक अल्मोड़ा के खाते में जमा धनराशी ६१ लाख़ और पीo एनoबीo अल्मोड़ा के खाते की धनराशी लगभग चार लाख़ बीस हज़ार के लिऐ उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी करने हेतु आवेदन किया था। प्रार्थिनी ने अपने प्रार्थना पत्र में संक्षिप्त रूप में कथन किया था कि स्वo महंत योगी सुंदर नाथ पुत्र स्वo पीर पुरुषोत्तम नाथ जो की एक हिंदू साधु थे कि मृत्यु दिनांक १९ अप्रैल २०२१ उत्तरांचल एकादमी दुगाल खोला अल्मोड़ा में हो चुकी हैं।जिनके द्वारा अपनी स्वअर्जित संपत्ति के लिए वसीयत के जरिए पक्षकारों को उत्तराधिकारी बनाया हैं।जिस कारण दोनों पक्षकार उपरोक्त बैंकों के खातों में हिस्सेदार हैं। बैंकों की उक्त धनराशि को पाने के लिए प्रार्थिनी ने उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी करने की याचना की थी।
विपक्षी ने जताई आपत्ति
प्रार्थिनी के उक्त प्रार्थना पत्र पर विपक्षी नरेंद्र सिंह महिपाल द्वारा अपनी आपत्ति जताई गई और कहा की प्रार्थिनी का प्रार्थना पत्र गलत तथ्यों पर आधारित होने के कारण खारिज़ होने योग्य हैं। विपक्षी ने कहा कि वो भारतीय स्टेट बैंक अल्मोड़ा के खाते में स्वo बाबा जी का विधिक नॉमिनी हैं और पीoएनoबीo अल्मोड़ा के खाते में कोई भी नॉमिनी नहीं हैं जिस कारण इसमें दोनों पक्षकारों को इसमें उत्तराधिकारी बनाया जाएं। अदालत में प्रार्थिनी ने कहा की विपक्षी मेरा सगा भाई है और मेरे साथ धनराशि का उत्तराधिकारी हैं और इस मामले में मेरे द्वारा मूल वसीयत अदालत में दाखिल नहीं की गई हैं जबकि विपक्षी ने कहा की वसीयत के आधार पर वो वारिस हैं उसने वसीयत को देखा हैं और उसकी प्रति पत्रावली में नहीं लगाई हैं। प्रस्तुत मामले में विपक्षी द्वारा वसीयत पर आपत्ति दर्ज की गई,अदालत ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं के द्वारा दिए गए साक्ष्यों को सुना तथा पत्रावली में उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन किया। जिसके बाद अदालत ने प्रार्थिनी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र उत्तराधिकार प्रमाण पत्र को खारिज़ कर दिया। विपक्षी नरेंद्र सिंह महिपाल की ओर से मामले में रोहित कार्की अधिवक्ता द्वारा प्रबल पैरवी की गई।