Harela festival: पर्यावरण और पहाड़ी संस्कृति का अनोखा पर्व हरेला त्यार Harela Festival: The unique festival of environment and hill culture begins
अल्मोड़ा -उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का हरेला सात जुलाई को बोया जायेगा सोल्ह16 जुलाई को काटा जायेगा। वहीं कुछ परिवारों में हरेला 6 जुलाई को बो दिया गया है। तो कही 8 जुलाई को भी बोया जायेगा। इस तरह हरेला पर्व 9, 10 व 11 दिनों को मनाया जाता है।
गढ़वाल में हरेला को मूल संक्रान्ति व राई संक्रान्ति के नाम भी जाना जाता है। कुमाऊं मंडल में हरेला पर्व तीन बार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि व आश्विन नवरात्रि में इन तीनों हरेला पर्व में सबसे महत्वपूर्ण हरेला सावन के महीने होने वाला हरेला बताया जाता है।आइये हरेला कैसे बोया जाता आगे बताते चलें।घर में कुंवारी लड़कियां या घर के बड़े बुजुर्ग इस हरेले की बुवाई करते हैं। सबसे पहले मिट्टी को छाना जाता है फिर टोकरी,या गमले में उस मिट्टी की एक परत बना लेते हैं।सात अनाज या नौ अनाजों का मिश्रण करके हरेला बोया जाता है।टोकरी या गमले में मिट्टी की परत के बाद एक मुट्ठी ये अनाज डाला जाता है फिर एक मुट्ठी मिट्टी।
ऐसे करके सात बार या नौ मुट्ठी में अनाज डाला जाता है ऐसे सात बार नौ बार मिट्टी डाला जाता है। फिर पानी डाला जाता है। उसके बाद घर के कोने में साफ सफाई करके चारों ढक कर रखा जाता है। हर दिन हरेला को पानी दिया जाता है। नौवें दिन हरेला की पूजा अर्चना करके गुड़ाई की जाती है।दसवें दिन सारे परिवार के लोग स्नान करके घर की साफ सफाई करके घर के बड़े बुजुर्गो के द्धारा इस हरेला को काटा जाता है।काट कर सबसे पहले अपने कुल देवी देवताओं के मंदिरों में चढ़ाया जाता है। उसके बाद इस त्यौहार के तौर पर बड़े बुजुर्गो के द्धारा अपने अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए हरेला चढ़ाया जाता है।इधर बहिनों के द्धारा अपने भाई यों की लम्बी आयु की कामना के लिए बहिने भाईयों को हरेला पूजती है।
घर परिवार में हरेला पूजते हुए ये आशिर्वाद दिया जाता है।ला हरियाव ला बगाव,जिरया जागि रया,यौ दिन यौ मास,भियटनें रया।एक कि इकास है जौ पांच कि पिच्चासी। धरती बराबर चौकव, आसमान बराबर ऊंच है जाया,सियक जौ तराण,हाथिक जौ बल।हरेला की पीछे पौराणिक कथाएं।चैत्र मास के हरेला गर्मी का सूचक आशिवन मास का स हरेला मौसम बदलने का सूचक।सावन मास का हरेला सबसे महत्वपूर्ण हरेला माना जाता है। सावन में वर्षा का सूचक ये हरेला माना जाता है इस हरेला के दिन सदियों से परंपरा है पेड़ पौधे लगाने की अन्य पेड़ों की क़लम करके लगाने।इस दिन के पेड़ पौधे लगाए हुए बहुत ही अच्छी तरह से उगते हैं इसलिए हरेला पर्व पेड़ पौधे लगाए जाते हैं।दूसरी तरफ सावन का माह महादेव जी का प्रिय माह माना जाता है। पहाड़ों शिब पार्वती का वास बताया जाता है। कहीं कहीं पर इस हरेला पर्व में शिब व पार्वती की पूजा कहीं कहीं पर हर काली के नाम से भी जाना जाता है।
प्रस्तुति प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता

