पारंपरिक उत्तराखंडी भोजन को प्रोत्साहित एवम संरक्षित करने की आवश्यकता: हेमन्त कुमार बिनवाल

पारंपरिक उत्तराखंडी भोजन को प्रोत्साहित एवम संरक्षित करने की आवश्यकता: हेमन्त कुमार बिनवाल

राजकीय महाविद्यालय लमगड़ा में कल दिनांक 07-10-2024 को शिक्षाशास्त्र विभाग की ओर से गढ़भोज दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

पारंपरिक भोजन को वर्तमान में दैनिक भोजन में करना चाहिए शामिल

सर्वप्रथम कार्यक्रम के संयोजक, शिक्षाशास्त्र विभाग प्रभारी असि०प्रो० हेमन्त कुमार बिनवाल द्वारा अवगत कराया कि वर्तमान में पारम्परिक उत्तराखण्डी भोजन को प्रोत्साहित एवं संरक्षित करने हेतु परम्परागत फसलों एवं भोजन के उत्सव को गढ़भोज दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने तथा निरोगी काया एवं स्वस्थ समाज की कल्पना को साकार करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है। हमारी इस अद्वितीय प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण हेतु चिंतन करने का अवसर है, जिसमें मंडुवा (कोदा), झंगोरा, चौलाई, जॉ पारंपरिक भोजन को वर्तमान में दैनिक भोजन में शामिल करना चाहिये। ये भोजन पौष्टिकता से भरपूर होते हैं, पहले तो इन भोजन को सिर्फ गरीब वर्ग ही धनाभाव के कारण ग्रहण करता था, लेकिन वर्तमान में अमीर वर्ग इस भोजन की ओर आकर्षित हो रहा है। क्योंकि ये भोजन अनेक बीमारियों को दूर करता है।

औषधीय गुणों से भरपूर है पारंपरिक भोजन

इस अवसर पर गोष्ठी को संबोधित करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ० साधना पन्त ने कहा कि हमें अपने पारंपरिक भोजन को वर्तमान में अपनाने की जरूरत है। इन भोजन में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के बारे में भी अवगत कराया गया।

इस अवसर पर उपस्थित जन

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक वर्ग, कर्मचारी वर्ग, बी०ए० प्रथम, तृतीय पंचम सेमेस्टर के छात्र / छात्रायें उपस्थित रहे।

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