गरीबी उन्मूलन में दीन दयाल अन्त्योदय योजना के प्रभाव का अध्ययन विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

गरीबी उन्मूलन में दीन दयाल

नई दिल्ली। भारतीय समाज ही नहीं राष्ट्र के उत्थान में शोध एवं नवाचार पर केंद्रित ऐसी शोध परियोजना के अध्ययन की महत्वपूर्ण भूमिका महत्वपूर्ण है। सत्यान्वेषण की प्रक्रिया से अर्जित ज्ञान अपने विद्यार्थियों को प्रेषित करने की जरुरत है। हमें भारतीय विचारकों जैसे गाँधी, लोहिया, अम्बेडकर तथा दीनदयाल को पढ़ने की आवश्यकता है. भारत की शोध विधि पश्चिमी शोध विधि से श्रेष्ठ है। उक्त बातें मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर संजय पासवान, पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर, भारत सरकार ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं अदिति महाविद्यालय, बवाना के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक: 7 मार्च, 2024 स्थान : गाँधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में गरीबी उन्मूलन में दीन दयाल अन्त्योदय योजना के प्रभाव का अध्ययन विषय पर आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में उद्घाटन के अवसर पर कही।


पंडित दीनदयाल अंत्योदय योजना लोगों को कौशल युक्त बनाकर उनमें सनातन से छुपी हुई कौशल एवं तकनीकी शिक्षा को विकसित करने का एक प्रयास है। आने वाले समय में हमें निरंतर इस पर काम करने की जरूरत है। हमें ऐसी कई पॉलिसीज पर काम करने की जरूरत है जिसे समाज का ग्रामीण समुदाय का सीधा संबंध है।
वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए प्रो. पासवान ने कहा कि कार्यशाला तथा ऐसी शोध परियोजनाओं का उद्देश्य लोगों को तथा उनसे जुड़ी हुई कल्याणकारी नीतियों के प्रतिजागरूक करना तथा नीतियों का लोगों पर कितना प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन करना रहा है। ग्रामीण उन्नयन के क्षेत्र में सत्य एवं अनुसंधानयुक्त आधारित जानकारी लोगों पर पहुँचाने की कोशिश जाती है। यह एक सफल और अनुगामी अध्ययन प्रक्रिया से संबंधित है। शोध के क्षेत्र में सब्जेक्टिविटी न होकर बल्कि ऑब्जेक्टिविटी आधारित कार्य होना चाहिए। योजना का नाम दीन दयाल जी से होना नीति की उपादेयता को दर्शाता है.
अदिति महाविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफ़ेसर एवं परियोजना संयोजक प्रो. माला मिश्र ने शोध परियोजना पर चर्चा कर इस दौरान आने वाली चुनौतियों पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। समाज के विकास से संबंधित शोध करने तथा शोध में वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग करने पर जोर दिया जाना चाहिए। शोध में त्रुटियों को कम करने की व्यवस्थित तकनीकी का प्रयोग इस परियोजना के अंतर्गत निरंतर किया गया।

विशिष्ट वक्ता तथा शोध परियोजना निदेशक प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षा के अन्यान्य आयामों शोध की महती भूमिका है। पंडित दीनदयाल अंत्योदय योजना लोगों को कौशल युक्त बनाकर उनमें सनातन से छुपी हुई कौशल एवं तकनीकी शिक्षा को विकसित करने का एक प्रयास है। आने वाले समय में हमें निरंतर इस पर काम करने की जरूरत है। हमें ऐसी कई पॉलिसीज पर काम करने की जरूरत है जिसे समाज का ग्रामीण समुदाय का सीधा संबंध है।
अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में बोलते हुए हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने कहा कि पिछली सदी में समाजविज्ञान को सारगर्भित बनाने में शोध प्रविधि की अहम भूमिका रही है। वर्तमान समय में सामाजिक जागरूकता तथा भारत सरकार की नीतियों को समझाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों से बातचीत करने की जरूरत है। हमें अपने ज्ञान को निखारकर पे बैक टू सोसईटी’ के कॉन्सेप्ट पर बात करनी चाहिए. समाज के अंतिम व्यक्ति के अभ्युदय के लिए हमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 1962 के चार अभिभाषणों को सुनने और उन पर अमल करने की जरूरत है। भारतीय जीवन और दर्शन को समझने के लिए ‘एकात्म मानव दर्शन’ को पढ़ने की आवश्यकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे सामाजिक मॉडल को प्रस्तुत करते हैं, जिसमें गरीबी से कैसे निजात पाई जा सकती है इन बातों को समझाया गया है। एकात्मक मानव दर्शन को पढ़ने की जरूरत है। एकात्मक दर्शन की कल्पना के बगैर एक गरीबी और भयमुक्त समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। शोध करने के दौरान तमाम चुनौतियाँ आती हैं लेकिन हमें कोशिश करनी चाहिए कि प्राथमिक आंकड़ें स्वयं संकलित करें ताकि शोध में मौलिकता बनी रहे।

प्रथम, द्वितीय, तृतीय तकनीकी एवं समापन सत्र ‘शोध परियोजना के उद्देश्यों एवं अन्य पहलुओं पर चर्चा’ पर केंद्रित रहा। इस सत्र में अध्यक्षता कर रहे अश्विनी महाजन ने देश में गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में आजादी के बाद कई योजनायें संचालित की गयी। हमारे देश में एक बड़ा तबका फिर भी मौजूद रहा है। भारतीय साहित्य चिंतन में बेरोजगारी जैसा शब्द कहीं नहीं रहा है। भारत में आरती का सामान्य एक स्वाभाविक स्थिति रही है अर्थशास्त्रियों में साम्यवादी देश की व्यवस्था रही है जिसमें औद्योगिकरण और विकास को उचित समन्वय से स्थापित किया गया है। वर्तमान में संचालित का योजनाएं समाज में आर्थिक सशक्तिकरण कर सामाजिक समानता का काम कर रही है
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की अधिष्ठाता प्रो. मीनू कश्यप, अधिष्ठाता ने कहा कि किसी भी शोध कार्य एवं परियोजना में हमें शोध परियोजना के उद्देश्यों के अनुरूप काम करने की आवश्यकता होती है। पंडित दीनदयाल अंत्योदय योजना का प्रभाव का अध्ययन निश्चित ही ग्रामीण समुदाय के उन्नयन पर केंद्रित रहा है । ग्रामीण समाज के उन्नयन की कल्पना महिला सशक्तिकरण के बगैर नहीं की जा सकती है । शोध के लिए चयनित क्षेत्र धार और बाँदा निश्चित ही आदिवासी समुदाय और अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र रहे हैं । इन क्षेत्रों में भारत सरकार की पॉलिसीज का पहुंचना अत्यंत आवश्यक हो जाता है । यह पॉलिसीज कितनी पहुंच पाई हैं और ग्रामीण स्तर तथा शहरी स्तर पर मौजूद तथा उसकी व्यवस्था में जुड़े लोग इन योजनाओं का कैसे क्रियान्वयन करते हैं, इसका अध्ययन अत्यंत आवश्यक है ताकि जिन लोगों के लिए योजनाएं संचालित की गई हैं, उनका लाभ पूरी तरह से मिल पाए। शोध में शामिल की गई लक्षित समूह विश्लेषण विधि तथा अनुसूची लोगों के मतों को संकलित कर विश्लेषण करने में मदद करती करेगी।
प्रो. मंजू राय, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली ने कहा कि कार्य निष्ठा व्यक्ति को आगे बढ़ाती है। शोध में मुश्किलों से कभी घबराना नहीं चाहिए । प्राथमिक डाटा संकलन की विधियां डाटा संकलन संग्रहण की सबसे प्रभावशाली विधियां हैं। इम्पीरिकल शोध के अंतर्गत हमें प्रभाव का अध्ययन अत्यंत आवश्यक हो जाता है। शोध के दौरान जनसंख्या से एक उचित प्रतिनिधित्व के रूप में न्यादर्श का चुनाव भी अत्यंत जरूरी हो जाता है, ताकि शोध के निष्कर्ष तक उचित रूप में पहुंचा जा सके। अनुभवजन्य शोध का कार्य किसी समस्या का निदान करना हो जाता है। भारत सरकार द्वारा केंद्रित विभिन्न योजनाएं ग्रामीण समुदाय में किस महिला अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति का उन्नयन कर राष्ट्र विकास की कोशिश कर रही है। हमें निरंतर ऐसे विषयों का चुनाव कर अध्ययन करने की जरूरत है जिससे समाज को एक नई दिशा प्राप्त हो सके।
प्रो. ज्वाला प्रसाद, निदेशक, गाँधी स्मृति एवं दर्शन, नई दिल्ली ने कहा कि दीनदयाल का दर्शन समाज के उसे अंतिम व्यक्ति के उत्थान की बात करता है, जो भारत को विकसित करने के कड़ी के रूप में काम करता है। गरीबी उन्मूलन में दीनदयाल की एक महती भूमिका रही है। भारत सरकार की नीति पंडित दीनदयाल योजना ग्रामीण तथा नगरीय लोगों के कल्याण के रूप में दिखाई देती है। कौशल विकास अन्य टूटी योजनाएं पंचायत से जुड़ी हुई योजनाएं मुद्रा लोन युवाओं के कल्याण की बातें तथा अन्य कई ग्रामीण विकास से संबंधित योजनाएं और नीतियां निश्चित ही ग्रामीण तथा नगरीय समाज के उन युवाओं के कल्याण की बात करते हैं, जो कहीं न कहीं समाज के विकास की धारा को प्रबल करने में रहती भूमिका का निर्वहन कर रहा है। भारत सरकार योजनाओं का क्या प्रभाव पड़ रहा है इसके माध्यम से कितने लोगों को लाभ मिल रहा है। इसका अध्ययन निरंतर और बार-बार करवाती रहती है। सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के कार्यशाला भी परियोजना के आधारभूत मानदंडों को विश्लेषित और व्याख्यात करने तथा लोगों के मतों को संकलित करने के लिए आयोजित किया गया है ताकि एक बेहतर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जा सके और उसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दृश्य अंकित ग्रामीण उन्नयन की और सनातन व्यवस्था की पैरामीटर को स्थापित किया जा सके। गांधी का स्वराज ,अंबेडकर ,लोहिया तथा विनोबा भावे ने भी ग्रामीण ऑनलाइन की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। गांधी ने पंचायत को मजबूत करने की जो बात कही है, वह लोकतंत्र एक मजबूत लोकतंत्र की ओर ले जाते हैं। हमारे निरंतर ऐसे भी सहयोग पर काम करने की जरूरत है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के फैकल्टी एवं निदेशक डॉ. राकेश कुमार दुबे ने शोध क्षेत्र से जुड़े तमाम पहलुओं पर बातचीत की। डॉ. रामशंकर, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, परियोजना निदेशक ने दिन भर के सत्रों की रिपोर्ट प्रस्तुत की । प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रो. माला मिश्र एवं डॉ. राकेश कुमार कुमार दुबे ने किया। राष्ट्रगान कर कार्यशाला का समापन किया गया।इस राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रश्नसत्र में प्रतिभागियों ने भी उत्साहपूर्वक खूब बढ़चढ़कर सहभागिता की। इस कार्यशाला के अंतर्गत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कालेजों तथा संस्थाओं से प्रतिभागियों ने पंजीकरण कर सक्रिय सहभागिता की।विचारोत्तेजक चर्चा और व्यावहारिक कार्य शैली में यह कार्यशाला बहुत सार्थक और सफल रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *