स्वाबलंबी भारत के शिल्पी दत्तोपंत थेगड़े की जयंती पर वैचारिक कार्यक्रम का आयोजन :: Organization of ideological program on the birth anniversary of Dattopant Thegde, the architect of self-reliant India.
स्वाबलंबी भारत के शिल्पी दत्तोपंत थेगड़े को वैचारिक नमन
युवाओं की रही विशेष उपस्थिति
स्वदेशी और स्वाबलंबी भारत के रचनाकार ,महान राष्ट्रभक्त और सरलता की आदर्श प्रतिमूर्ति दत्तोपंत थेगड़े की जयंती के सुअवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के उत्तरी विभाग के कंझावला जिले में सुंदर वैचारिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम की प्रेरणा विभाग संयोजक अनिल कुमार शर्मा जी से मिली और इस कार्यक्रम की सुंदर परिकल्पना को साकार किया जिला महिला प्रमुख दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर माला मिश्र ने इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विभाग सह संयोजक दीपक राणा जी और वरिष्ठ राष्ट्रसेवी पत्रकार और साहित्यकार ,भाषाविद तथा इतिहासकार आचार्य चंद्र जी का विशेष सान्निध्य प्राप्त हुआ।
इस आयोजन में सर्वप्रथम महिला प्रमुख के द्वारा विशिष्ट जनों का स्वागत किया गया।अनिल शर्मा जी का उद्बोधन संदेश के रूप में प्राप्त हुआ जो कार्यक्रम का औपचारिक प्रारंभ करने के लिए बहुत उत्साहकारी था।
आचार्य चंद्र जो कि प्रसिद्ध हिंदी मासिक पत्रिका जाह्नवी के सह संपादक भी रहे हैं उन्होंने सभा में उपस्थित वृन्द को सूचित किया कि माननीय दत्तोपंत जी का जीवन त्याग ,तपस्या और राष्ट्र सेवा के संकल्प से प्रतिबद्ध आदर्श जीवन था जिसने भारत को स्वाबलंबी बनने की प्रेरणा दी।
दीपक राणा जी ने कहा कि यदि भारत के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है तो सिर्फ दत्तोपंत जी के दिखाए रास्ते पर चलकर ही बनाया जा सकता है।
इस आयोजन के अंतर्गत विभिन्न कॉलोनियों और सोसाइटियों से आए प्रतिभागियों के समक्ष जूम लिंक के माध्यम से प्राप्त ऑनलाइन संबोधनो को स्क्रीन के माध्यम से साझा किया गया। स्वदेशी के राष्ट्रसेवी पदाधिकारियों आदरणीय भगवती प्रकाश शर्मा जी,सतीश जी ,पांड्या जी और कश्मीरी लाल जी के विचारों की पवन गंगा में स्नात होकर स्वदेशी चेतना में पूर्णतः अवगाहन करके समस्त उपस्थित प्रतिभागी एवं दर्शक लाभान्वित हुए।
कार्यक्रम को समग्रता में सार्थकता प्रदान करते हुए प्रोफेसर माला मिश्र ने संबोधन में कहा स्वावलंबन मात्र एक नारा नहीं है एक संकल्प है ,एक विकास प्रक्रिया है ,एक सार्थक अभियान है जिसका शुभारंभ माननीय दत्तोपंत जी ने करके भारतवर्ष को एक नया सकारात्मक मंत्र प्रदान किया , उन्होंने आर्थिक साम्राज्यवाद से मुक्ति दिलाने और बौद्धिक संपदा के प्रति सचेत होकर राष्ट्र के उत्थान के लिए स्वदेशी आर्थिक व्यवस्थाओं को अंगीकार करने का आह्वान किया।ऐसे सर्व समावेशी ,उदात्त और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व से प्रेरणा प्राप्त करके उनके आदर्श संस्कारों के क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में युवाओं की विशेष उपस्थिति स्वदेशी जागरण मंच की युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता को भी संकेतित करती है।
कल्याण मंत्र और राष्ट्रगान के सुंदर गायन के उपरांत इस सामाजिक आह्वानपरक आयोजन का सार्थक समापन हुआ।
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