Motor vehicle act- उत्तराखंड: प्रदेश में भी दिखा ड्राइवरों की देशव्यापी हड़ताल का असर, पाँच हजार से अधिक वाहनों के पहिए थमे
केंद्र सरकार के नए मोटर व्हीकल एक्ट Motor vehicle act का उत्तराखंड में भी काफी विरोध हो रहा है। देश के कई राज्यों के साथ ही उत्तराखंड में भी सभी बसों, ऑटो और विक्रम चालक कल से सड़कों पर उतरे हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों की इस हड़ताल की वजह से आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हरिद्वार में ई- रिक्शा और ऑटो चालकों की हड़ताल के चलते वर्ष के पहले दिन गंगा स्नान और देव दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। गढ़वाल विक्रम टेंपो वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से सर्वसम्मति से दो और तीन जनवरी को ऑटो और विक्रम संचालित नहीं करने का फैसला लिया गया। ऑटो और विक्रम चालकों ने वाहनों का संचालन खुद नहीं किया और दूसरों को भी नहीं करने दिया।
उत्तराखंड के ड्राइवरों में भी भारी नाराजगी
दरअसल आपराधिक कानूनों में किए गए बदलाव के कारण हिट एंड रन केस में भी सजा बढ़ा दी गई है, जिसके चलते देशभर में ट्रक और बस चालकों ने विरोध-प्रदर्शन किया है। सजा की अवधि बढ़ाए जाने के खिलाफ बस और ट्रक ड्राइवरों के साथ-साथ ऑटो चालकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। उत्तराखंड में भी ड्राइवरों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। जिसके बाद ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे जहां परिवहन निगम को नुकसान हो रहा है तो वहीं यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नए Motor vehicle act में क्या हुए हैं बदलाव
केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय न्याय संहिता को संसद से मंजूरी दे दी है. आने वाले समय में ये भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधान को रिप्लेस करेंगे। नए कानून में हिट एंड रन के केस में गलत ड्राइविंग या लापरवाही के चलते किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और ड्राइवर बिना पुलिस को सूचना दिए मौके से फरार हो जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा 7 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है। जबकि पूर्व में इसके लिए 2 साल की सजा का प्रावधान था।
प्रदेश में मंडराया पेट्रोल-डीजल का संकट
उत्तराखंड में ड्राइवरों की हड़ताल की वजह से सिर्फ रोडवेज़ बस ही नहीं बल्कि प्राइवेट बसों का संचालन भी बंद हो गया है। ड्राइवरों ने गाड़ियों को चलाने से इनकार कर दिया है। जल्द ही उत्तराखंड में हड़ताल की वजह से डीजल-पेट्रोल का संकट भी मंडरा सकता है, सप्लाई ना आने की वजह से लगातार तेल की खपत हो रही है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस एसोसिएशन के मुताबिक रोजाना तकरीबन पांच लाख से ज्यादा टैंकर डीजल, पेट्रोल और सीएनजी को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचते हैं। संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता कहते हैं कि जिनके पास पहले से स्टॉक है, उन पर तो तुरंत असर नहीं होगा। लेकिन जैसे-जैसे आपूर्ति बाधित होती रहेगी, इस तरीके से पेट्रोल और डीजल की किल्लत बढ़नी शुरू सकती है। ऑल इंडिया डीजल-पेट्रोल पंप डीलर संगठन के वरिष्ठ सदस्य दीपेश अग्रवाल कहते हैं कि 48 घंटे तक ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल बहुत बड़ी होती है। देश के अलग-अलग पेट्रोल-डीजल पंपों पर रोजाना टैंकर्स आपूर्ति के लिए पहुंचते हैं। दीपेश कहते हैं कि अगर यह हड़ताल आगे बढ़ती है, तो इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की सप्लाई पर पड़ना शुरू हो जाएगा।
सिडकुल आने–जाने वाले वाहनों को भी रोकने की कोशिश
प्रदेश के औद्योगिक हब सिडकुल की कंपनी से भी रात में गाड़ी लोड होने के बाद दूसरे राज्यों में जाने वाले वाहन जैसे ही सड़क पर निकले तो उन्हें भी आंदोलनकारी चालकों ने रोक दिया। साथ ही बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों को भी सिडकुल में जाने नहीं दिया। काफी समय के बाद ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद यातायात सुचारू हो पाया।
Motor vehicle act वापस ना लेने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी
ऑल ओवर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर राव अखलाक ने कहा कि ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के बैनर तले ट्रक चालक आज भी हड़ताल पर हैं। सरकार ने 10 साल की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान वापस नहीं लिया तो मजबूरन हड़ताल करनी होगी। गौरतलब है कि अकेले उत्तराखंड में पांच हजार से ज्यादा वाहनों के पहिए जाम हो जाएंगे।
हड़ताल पर सरकार सख्त, बस ड्राइवरों को दिया अल्टीमेटम
भारत सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून motor vehicle act का विरोध चारों ओर होने लगा है। ऐसे में उत्तराखंड में भी इस विरोध के स्वर उठने लगे हैं. रोडवेज बसों का संचालन बंद होने से सफर करने वाले लोगों को परेशानी हो रही है. इसको लेकर उत्तराखंड रोडवेज ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अनुबंधित वस्तुओं के मालिकों को साफ-साफ कहा है कि अगर बसों का संचालन रुका तो 50% तक जुर्माना लगाया जाएगा। नई मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर तमाम चालक हड़ताल पर है ऐसे में उत्तराखंड परिवहन निगम ने सख्त रूप अपनाया है, उत्तराखंड परिवहन निगम ने अपने पास अनुमान चल रही अनुबंधित बसों को साफ-साफ अल्टीमेटम दिया है कि मंगलवार से किसी भी हाल में रूट बसें नही चली तो प्रतिदिन के हिसाब से 50 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए है.
परिवहन निगम ने दिए अनुबंधित बसों का संचालन करने के आदेश
निगम के मंडलीय प्रबंधक संजय गुप्ता ने आदेश में कहा है कि इससे एक ओर जहां यात्री परेशान रहे तो वहीं परिवहन निगम की छवि धूमिल हुई। निगम को आर्थिक हानि भी हुई। उन्होंने इसे अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन बताया है। आदेश में तमाम अनुबंधित बसों के मालिकों को आदेश दिया गया है कि समय सारणी के हिसाब से बसों को चलाया जाए अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने हड़ताल का असर कम करने के लिए अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश
हड़ताल के ज्यादा चलने से आपूर्ति बाधित होगी और उससे जमाखोरी भी बढ़ सकती है। ऐसी दशा में मांग और आपूर्ति के बीच में बढ़ने वाले गैप के चलते सीधा असर जनता पर पड़ सकता है। पूरे देश में रोजाना औसतन एक लाख से ज्यादा ट्रक देश के अलग-अलग हिस्सों में दवाओं को पहुंचाते हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक तकरीबन इससे ज्यादा ही ट्रक फल और सब्जियों को पहुंचाते हैं। तकरीबन साढ़े चार लाख से ज्यादा ट्रक रोजाना एक जोन में रोजमर्रा से जुड़ी जरूरत के अन्य छोटे-छोटे सामान पहुंचाते हैं। लेकिन पिछले 48 घंटों में दवाइयों से लेकर फल और सब्जियां समेत डीजल, पेट्रोल और सीएनजी जैसी जरूरतें सप्लाई करने के लिए ट्रक नहीं चल रहे हैं। अगर ट्रक ड्राइवर की हड़ताल लगातार बनी रही, तो इसका सीधा असर बाजार के अलावा मरीज, अस्पताल और दवाओं पर जबरदस्त रूप से दिखेगा।ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के मुताबिक चालकों की हड़ताल का बड़ा असर पड़ना शुरू हो गया है। सरकार ने भी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का लोगों पर असर न पड़े, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
मोटर ट्रांसपोर्ट संगठन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष उठाई motor vehicle act कानून को वापस लेने की मांग
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता कहते हैं कि ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते उनका संगठन आपातकालीन बैठक कर रहा है। बैठक में आगे की रणनीतियों और समाधान पर चर्चा होगी। नवीन गुप्ता कहते हैं कि इस बैठक के बाद ही तय होगा कि आगे की हड़ताल किस दिशा में जाएगी। हालांकि संगठन और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच भी लगातार नए कानून के बदलाव को लेकर बातचीत चल रही है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के मुताबिक ट्रक ड्राइवर की अलग-अलग एसोसिएशंस यही चाहती हैं कि हिट एंड रन एक्ट में किए गए बदलाव को समाप्त किया जाए।