मां कुष्मांडा को समर्पित है नवरात्रि का चौथा दिन, जानें प्रचलित कथा


मां कुष्मांडा को समर्पित है नवरात्रि का चौथा दिन, जानें प्रचलित कथा

नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। मां कुष्मांडा संकटों से रक्षा करती है। मां की भक्ति से परिवार में सुख समृद्धि आती है। वहीं सुहागन औरतें को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


कैसा है मां का स्वरूप

मां कुष्मांडा अष्टभुजा वाली देवी हैं, इनके सात हाथों में कमण्डलु, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृतपूर्ण कलश ,चक्र तथा गदा हैं। मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं, माता के तेज से ही सभी दिशाओं में प्रकाश होता है। अन्य कोई भी देवी देवता इनके तेज और प्रभाव का सामना नहीं कर सकता। मां के आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां कुष्मांड़ा की पूजा करने से व्यक्ति का बुद्धि और विवेक बढ़ता है।

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

मां कुष्मांडा पूजा विधि

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें। इसके बाद मां का ध्यान कर कुमकुम, मौली, अक्षत, लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं। साथ ही यदि सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल है तो उन्हें मातारानी को अर्पित कर दें। फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें। मां कुष्मांडा को कुम्हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए।

जानें ये प्रचलित कथा

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि प्राचीन काल में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना का संकल्प लिया। उस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड में घना अंधकार व्याप्त था। समस्त सृष्टि एकदम शांत थी, न कोई संगीत, न कोई ध्वनि, केवल एक गहरा सन्नाटा था। इस स्थिति में त्रिदेव ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता की याचना की। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने तुरंत ही ब्रह्मांड की रचना की। कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि का निर्माण किया। मां के चेहरे पर फैली मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशमय हो गया। इस प्रकार अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना करने के कारण जगत जननी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मां की महिमा अद्वितीय है।

मां कुष्मांडा पूजा मंत्र

देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।
ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *