एलपीजी वितरकों ने तीन महीने में मांगें पूरी करने को लेकर दी देशव्यापी हड़ताल की धमकी

एलपीजी वितरक संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को अगले तीन महीनों में पूरा नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन देशव्यापी हड़ताल पर जाएंगे। इस हड़ताल से पूरे देश में घरेलू गैस सिलेंडरों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। संघ ने वर्तमान कमीशन दरों की असंतोषजनक स्थिति और उनके काम में आ रही संचालन संबंधी चुनौतियों को उजागर किया है।

उच्च कमीशन और बेहतर वितरण प्रथाओं की मांग

संघ के अध्यक्ष बीएस शर्मा ने भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान यह घोषणा की कि विभिन्न राज्यों के सदस्यों ने एक साझा मांग पत्र को मंजूरी दी है, जिसे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंपा गया है। शर्मा के अनुसार, एलपीजी वितरकों को जो कमीशन दिया जा रहा है, वह अपर्याप्त है और यह बढ़ते संचालन खर्चों के साथ मेल नहीं खाता। संघ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सिलेंडर पर कम से कम 150 रुपये कमीशन बढ़ाने की मांग की है, जिसे वे अपने व्यवसाय के अस्तित्व और गैस वितरण की निष्पक्षता के लिए आवश्यक मानते हैं।

इसके अलावा, वितरकों ने गैर-घरेलू सिलेंडरों के जबरन वितरण को लेकर भी चिंता जताई है। उनका आरोप है कि तेल कंपनियां बिना किसी मांग के सिलेंडर भेज रही हैं, जो कि अवैध है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। इसके साथ ही, वितरकों ने उज्जवला योजना के तहत सिलेंडरों के वितरण में आ रही समस्याओं की भी ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। इन मुद्दों ने वितरक समुदाय में बढ़ती नाराजगी को और भी बढ़ा दिया है।

हालिया मूल्य वृद्धि ने स्थिति को और बढ़ाया

हड़ताल की धमकी के बीच स्थिति को और गंभीर बनाने वाला एक अन्य कारक है घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमतों में हाल की वृद्धि। 7 अप्रैल को, केंद्रीय सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की वृद्धि की थी। इस वृद्धि ने प्रमुख शहरों में उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में गैस सिलेंडर की कीमत 803 रुपये से बढ़कर 853 रुपये हो गई है, जबकि मुंबई में यह 802.50 रुपये से बढ़कर 853.50 रुपये हो गई है। कोलकाता में सिलेंडर की कीमत 829 रुपये से बढ़कर 879 रुपये हो गई है, और चेन्नई में यह 818.50 रुपये से बढ़कर 868.50 रुपये हो गई है। उज्जवला योजना के तहत वितरित सिलेंडरों की कीमतों में भी वृद्धि की गई है, जिससे वितरकों और उपभोक्ताओं के बीच असंतोष और बढ़ गया है।

अब, जैसे-जैसे वितरकों की मांगों को पूरा करने की समय सीमा नजदीक आ रही है, यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इन मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाती है और हड़ताल को टालने में सफल होती है। इस स्थिति ने देश में एलपीजी वितरण के भविष्य और उपभोक्ताओं पर इन चल रहे चुनौतियों के प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

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