शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है।आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तभी संभव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले, तेल इत्यादि मिलावटरहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की। मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है।सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है।
जानें ये कुछ आसान टिप्स
- सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए ज्यादातर यह चमक सेब पर वैक्स पॉलिश की वजह से दिखती है इसकी जांच के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब को हल्के-हल्के खुरचिए अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले तो आपको बधाई क्योंकि आप मोम खाने से बच गए।
- अगली बार चाय बनाने से पहले चाय पत्ती को जरूर जांचें चाय पत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें मिलावट है या वह एक बार यूज हो चुकी है
- मटर के दाने खरीदे हैं तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और 30 मिनट तक छोड़ दें अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट हरे की मिलावट है।
- हल्दी मेँ चार बूँद खटाई और थोड़ा पानी मिलाने पर अगर हल्दी का रंग बैगनी हो जाये तौ हल्दी मिलावटी है।
- अगर आप हल्दी को पिसवाते है तो हल्दी की पहचान करने के लिए पेपर पर हल्दी को रखकर ठंडा पानी मिलाएं अगर रंग अलग हो जाए तो हल्दी पॉलिश की हुई है।
- मसाले में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी में अमरूद की छाल मिलाई जाती है इसे हाथ पर रगड़कर देखें अगर यह नकली होगी तो कोई कलर नहीं आएगा।
ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां (अल्सर, ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है।