भागदौड़ भरी इस जीवन शैली में कई बीमारियां आज इतनी आम हो गई हैं कि हर दूसरा इंसान आज इससे जूझता दिखाई देता है। हम बात कर रहे हैं डायबिटीज यानी मधुमेह की। आम हो चली इन बीमारियों में डायबिटीज रोग एक बड़ी चुनौती बन गया है। दुनिया भर में तेजी से बढ़ती इस चुनौती से जूझने और जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
1991 से हुई थी शुरुवात
वर्ल्ड डायबिटीज डे को अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में शुरू किया गया था। यह दिन पहली बार 1991 में मनाना शुरू किया गया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिसम्बर, 2006 में इसे अपने स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सूची में शामिल किया। सन् 2007 से अब यह संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा यह हर साल 14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन के रूप में चिह्नित किया गया, जिन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की सह-खोज की थी।
मधुमेह की व्यापकता 10.1 करोड़
2023 में प्रकाशित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद – भारत मधुमेह (आईसीएमआर इंडियाबी) अध्ययन के अनुसार, मधुमेह की व्यापकता 10.1 करोड़ है।भारत सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में, गैर संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों पर और संसाधन लिफाफे के अधीन। मधुमेह कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है। यह कार्यक्रम गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के उपचार के लिए रोकथाम, शीघ्र निदान, प्रबंधन और उचित स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के लिए रेफरल के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन और जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित है। एनपी-एनसीडी के तहत, 724 जिला एनसीडी क्लिनिक, 210 जिला कार्डियक केयर इकाइयां, 326 जिला डे केयर सेंटर और 6110 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लिनिक स्थापित किए गए हैं।
सामान्य गैर-संचारी रोगों के रोकथाम, नियंत्रण के लिए पहल
सामान्य गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) यानी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए देश में एनएचएम के तहत और व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के एक भाग के रूप में जनसंख्या आधारित पहल शुरू की गई है। पहल के तहत, 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को सामान्य एनसीडी के लिए उनकी जांच के लिए लक्षित किया जाता है। इन सामान्य एनसीडी की स्क्रीनिंग आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है जो मधुमेह सहित एनसीडी के जोखिम कारकों पर जागरूकता पैदा करता है। सामुदायिक स्तर पर कल्याण गतिविधियों और लक्षित संचार को बढ़ावा देकर, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कल्याण केंद्र योजना के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत मधुमेह के निवारक पहलू को मजबूत किया गया है। इसके अलावा, एनपी-एनसीडी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उनके कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के अनुसार मधुमेह के लिए जागरूकता सृजन (आईईसी) गतिविधियों के लिए एनएचएम के तहत वित्तीय सहायता देता है। मधुमेह के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए अन्य पहलों में विश्व मधुमेह दिवस का अवलोकन और निरंतर सामुदायिक जागरूकता के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग शामिल है।
क्या है थीम
एक्सेस टू डायबिटीज केयर‘ है। यानि लोगों को मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से जुड़ी बीमारियों और मधुमेह मेलिटस सेट के बारे में जागरूक करना है जिससे लोग डायबिटीज के बारे में जागरुक हो सकें और शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिल सके।