नवरात्रि के प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की पूजा का विधान, जानें ये माता से जुड़ी कथा
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। आज चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस है इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। इस बार नवरात्रि नौ अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक है। नवरात्रि के प्रत्येक दिवस देवी के अलग -अलग नौ रूपों को की पूजा की जाती हैं । नवरात्रि के प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है । आइए चलिए जानते हैं पूजन विधि और पौराणिक व्रत कथा।
जानें पूजन विधि और शुभ मूहर्त
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हैं।पंचांग की गणना के मुताबिक शुभ चौघड़िया 09 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस शुभ मुहू्र्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। 09 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। क्योंकि यह अभिजीत मुहूर्त है। कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है। मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है इसलिए पूजा के दौरान उन्हें सफेद रंग की चीजें बर्फी आदि का भोग लगाया जाता है। पूजा में सफेद रंग के पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं। माता के भक्तों को पहले दिन की पूजा में सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए।
जानें व्रत कथा
एक बार प्रजापति दक्ष, जो सती के पिता थे। उन्होंने यज्ञ के दौरान भगवान शिव और सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने को तैयार हो गई। अब भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि ऐसे बिना बुलाए जाना उचित नहीं है। इसके बावजूद सती नहीं मानी और सती को भगवान शिव ने जाने की अनुमति प्रदान कर दी। अब सती बिना बुलाए पिता के यहां यज्ञ में प्रतिभाग करने पहुंच गई। वहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। मायके में सती की मां के अलावा सभी ने उनसे गलत तरीके से बात की। क्या भाई और क्या बहनें, सभी ने सती और उनके पति भगवान शिव खूब उपहास किया।
ये कठोर व्यवहार और पति का अपमान सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर लिया। जैसे ही ये वाकया हुआ और भगवान शिव तक सूचना पहुंची। उन्होंने तुरंत अपने गणों को दक्ष के यहां भेज दिया। गणों ने इस यज्ञ को विध्वंस कर दिया। अगले जन्म सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस तरह वह मां शैलपुत्री के नाम से जाने लगी।