सोबन सिंह जीना परिसर के सांस्कृतिक कार्यक्रम उद्भव के दूसरे दिन नाटकों की प्रस्तुति हुई। तीन दिवसीय उद्भव सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दूसरे दिन नाटकों का उद्घाटन हुआ। मुख्य सभागार में परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, राधा सौतियाल, कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.इला साह,सांस्कृतिक सचिव नितिन रावत , छात्रसंघ अध्यक्ष पंकज कार्की ने नाटकों के प्रदर्शन की शुरुआत की। अतिथियों का बैज अलंकरण कर, प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया। 12 से 14 जून,2023 तक आयोजित होने वाले इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दूसरे दिवस पर कला, विज्ञान, वाणिज्य संकाय के कलाकारों द्वारा नाटकों की प्रस्तुति दी।
कला संकाय के छात्रों द्वारा शराब के प्रचलन, विवाह पर हुड़दंग पर दी शानदार प्रस्तुति
कला संकाय के छात्रों द्वारा शराब के प्रचलन, विवाह पर हुड़दंग पर प्रस्तुति दी। विधि संकाय के द्वारा कब होगा न्याय की शानदार प्रस्तुति दी। जिसमें भारतीय न्याय व्यवस्था, पुलिसिया कार्यवाही, प्रशासन की असंवेदनशीलता आदि खामियों को प्रस्तुत किया। विज्ञान संकाय द्वारा महाभारत के अंश को प्रस्तुत कर कर्म को धर्म मानकर कार्य करने का संदेश दिया। दूसरे दिन नाटक प्रतियोगिताओं की धूम रही।
एकल प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
इसके साथ एकल लोकगीत प्रतियोगिता भी आयोजित हुई। ‘बेडू पाको बारोमासा ओ नरेंन काफल पाको चैता मेरी छैला।’ स्वर्ग तारा जुनैली राता, को सुनैलो तेरी मेरी बाता। रूमा झूमा सुवा जेठा घामल, कलेजी में लागी माया (न्योली), काँछू तेरो जलेबी को डाब। ओ याद आली स्वामी जी त्यर बिना। इस अवसर पर महोत्सव की संयोजक प्रो. इला साह ने उद्भव सांस्कृतिक महोत्सव के संबंध में कहा इस कार्यक्रम को रंगकर्मियों के संरक्षण में संचालित किया जा रहा है। युवा कलाकार रंगमंच की प्रस्तुतियां दे रहे हैं।
जियारानी की छात्राओं ने दी विशेष मनमोहक प्रस्तुति
जियारानी की छात्राओं ने विशेष सामुहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। नाजिम अली, अंजली राजन, पल्लवी पंत, कृति आर्या, नेहा बिष्ट, रोहन नतद, साहिल, शैलजा कार्की, शिवम कांडपाल, कार्तिक मठपाल, हर्षित पंत आदि कलाकारों ने विभिन्न संकायों का प्रतिनिधित्व कर एकल गीत गायन किया। उद्भव महोत्सव का संचालन डॉ० संजीव आर्या ने किया।
निर्णायक मंडल
इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी एवं साहित्यकार नवीन बिष्ट, रंगकर्मी नरेश बिष्ट, रंगकर्मी ध्रुव टम्टा ने नाटकों के निर्णायक और लोकगीत में डॉ० सबीहा नाज एवं डॉ० नीलम ने निर्णायक की भूमिका निभाई। लोकनृत्य का निर्णायक डॉ० कुसुमलता, डॉ० पूरन जोशी ने की।
इस अवसर पर उपस्थित रहे
कार्यक्रमों के दूसरे दिन प्रो. एम.एम. जिन्नाह, डॉ० नंदन सिंह बिष्ट, डॉ० देवेंद्र सिंह बिष्ट,डॉ ०डी पी यादव, डॉ० प्रतिभा फूलोरिया,डॉ० अरशद हुसैन, डॉ० फराहा दीबा,प्रो० रुबीना अमान, डॉ० संदीप कुमार, डॉ० कुसुमलता आर्या, डॉ० दीपक सागर, डॉ० गौरव कर्नाटक,डॉ० योगेश मैनाली, डॉ० मनोज कुमार बिष्ट,डॉ०पुष्पा वर्मा, डॉ० प्रज्ञा वर्मा, प्रकाश भट्ट, भुवन विद्यार्थी, गुलाब राम, भूपाल भट्ट, नंदन लाल, नंदन जड़ौत, विजय पंत, जगदीश सिंह, मनोज मेर डॉ० राम चन्द्र मौर्या,डॉ० प्रमेश टम्टा, पूर्व महासचिव सुधांशु रौतेला, पवन मेहरा, विपुल कार्की, डॉ०सुशील भट्ट, डॉ० साक्षी तिवारी,डॉ० श्वेता चनियाल, डॉ०ममता असवाल, डॉ० डी पी यादव, वंदना टम्टा,प्रकाश भट्ट , डॉ० वंदना टम्टा, डॉ० पुष्पा वर्मा, सांस्कृतिक सचिव नितिन रावत, छात्र संघ अध्यक्ष पंकज कार्की ,छात्रा उपाध्यक्ष रुचि कुटौला ,उपाध्यक्ष पंकज फर्त्याल, उपसचिव करिश्मा तिवारी ,कोषाध्यक्ष अमित फर्त्याल, देवाशीष धानिक, मोहन देवली, संदीप तड़ागी, प्रदीप बिष्ट, आशीष पंत, लोकेश तिवारी, इंद्रमोहन पंत, डॉ विवेक आर्या आदि उपस्थित रहे |