पानी की किल्लत के लिए सरकार की जिम्मेदारी नहीं, लोगों को भी आगे आना होगा- प्रताप सिंह नेगी
अल्मोड़ा उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इस साल पानी की किल्लत से जनता परेशान है । दस सालों से उत्तराखंड राज्य में छाया दार व जमीन में नमी रखने वाले पेड़ों की कमी होते जा रही है। विगत दो वर्षों में उत्तराखंड के पहाड़ों के जंगलों में व शहरी क्षेत्रों में एक तरफ आग लगाने का सिलसिला जारी है। दूसरी तरफ कच्चे पेड़ों व छाया दार व जमीन में नमी रखने वाले पेड़ों को काटने का सिलसिला लगातार बढ़ता गया।
दो सालों से पानी का स्तर बहुत गिर चुका
उत्तराखंड राज्य में दो सालों से पानी का स्तर बहुत गिर चुका । लेकिन इस साल तो हाय पानी हाय पानी करके लोग परेशान हैं।उत्तराखंड में पानी की गंभीर समस्या होने के कारण हर साल आग लगाने से जंगल के जंगल जल रहे हैं। दूसरी तरफ जो पेड़ पौधों के द्वारा पानी मिलता था उन पेड़ों का काटने से ये किल्लत बड़ी है।
नमी रखने वाले पेड़ पौधों को लगाना अनिवार्य समझें
ये पानी की किल्लत के लिए सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।इस पानी की किल्लत के लिए उत्तराखंड राज्य के लोगों को सबसे पहले पेड़ लगाओ व उत्तराखंड बचाओ के लिए आगे आना चाहिए।उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों व पहाड़ों में उत्तराखंड की जनता को बाज,उदीस,पिपल,नीम,बरगद,जामुन, आदि छाया दार व जमीन में नमी रखने वाले पेड़ पौधों को लगाना अनिवार्य समझें।अगर अभी बरसात के सीजन में हमने पेड़ लगाओ उत्तराखंड बचाओ अभियान नहीं चलाया तो आने वाले भविष्य में इससे भी ज्यादा पानी की किल्लत हो सकती है।
पानी किल्लत दिन पर दिन बढ़ती जा रही
हम सभी लोगों ने अपने आस पास के जंगलों में आस पास के खेतों में छाया दार व नमी देने वाले पेड़ों को लगाने के क़दम उठाने चाहिए। आज़ से दस पंद्रह साल पहले उत्तराखंड के पहाड़ों से पानी के स्रोत से हमको पानी मिलता था। लेकिन आज उन स्रोतों के आस पास छाया दार व जमीन में देने वाले पेड़ पौधों की कमी के कारण अलग अलग जगहों में पानी किल्लत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
– प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता अल्मोड़ा