GEP: उत्तराखण्ड लागू करने वाला पहला राज्य, जानिए क्या है जीईपी

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने जीडीपी के समानांतर जीईपी (ग्रास एन्वायरनमेंट प्रोडक्ट) लागू किया है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य की पारिस्थितिकी की स्थिति और उसके संरक्षण के प्रयासों का वार्षिक आकलन करेगा। जीईपी चार प्रमुख घटकों – हवा, मिट्टी, पानी, और जंगल – पर आधारित है और इसका उद्देश्य इन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।उत्तराखंड जीडीपी के समानांतर जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना। जीईपी (ग्रास एन्वायरनमेंट प्रोडक्ट) का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण का वार्षिक आकलन करना है।जीईपी चार घटकों – हवा, मिट्टी, पानी, और जंगल – पर आधारित है।जीईपी सूचकांक के फार्मूले का विकास ख्यातनाम पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने किया।जीईपी का उद्देश्य विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखना है।जीईपी की अवधारणा और सूचकांक बनाने में 12-14 साल का लंबा मंथन चला।जीईपी सूचकांक में वनों, हवा, पानी, और मिट्टी के आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है।जीईपी लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक प्रकोष्ठ बनाने की बात कही है।जीईपी के लिए अन्य राज्यों जैसे मध्य प्रदेश और बिहार ने भी रुचि दिखाई है।जीईपी के प्रचार और जनजागरण के लिए देशभर में यात्रा की योजना बनाई जा रही है।

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