bhajan: श्रीनागदेव जी की आरती

श्रीनागदेव आरती पंचमीकी कीजै।

तन मन धन सब अर्पण कीजै।

नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।

चले बिन पैर सुने बिन काना ।

उनको अपना सर्वस्व दीजे।।

शंकर विघन विनायक नासा ।

भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।

शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।

दुष्ट जनों का करे निवाला ।

भगत तेरो अमृत रस पिजे।।

वेद पुराण सब महिमा गावें ।

नारद शारद शीश निवावें ।

सावल सा से वर तुम दीजे।।

नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।

खीर चूरमे का भोग लगावे ।

रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै । 

आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।

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