पितृ पक्ष में वर्जित माने गए हैं ये कार्य, जानें


पितृ पक्ष में वर्जित माने गए हैं ये कार्य, जानें

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है। पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया गया श्राद्ध, दान परिवार को खुशहाली प्रदान करता है।  पितृ पक्ष में रोजाना पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से तीन पीढ़ी के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।इस वर्ष पहला श्राद्ध 18 सितंबर को और इसकी समाप्ति 2 अक्टूबर को होगी। पितृ पक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य को करने की मनाही होती है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मांगलिक कार्य करने से पितृ नाराज हो जाते हैं।


क्या कार्य नहीं करने चाहिए

👉पितृ पक्ष के दौरान रोजाना स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पितरों को भोजन दें।

मांगलिक कार्य माने गए हैं वर्जित

👉अकसर पितृ पक्ष में शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी, मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे कार्य भी वर्जित माने गए हैं।

👉पितृ पक्ष में नए कार्य की भी शुरुवात नहीं करनी चाहिए जैसे व्यापार की शुरुवात, व्यापार में बदलाव, नई नौकरी की शुरुवात  क्योंकि इससे जीवन में संघर्ष बढ़ जाते हैं। ऐसी मान्यता है।

👉वहीं इस दौरान नए कपड़े, घर की सजावट की वस्तुएं, घर में  रंगाई पुताई, नए वाहन की खरीदारी, जमीन की खरीदारी विवाह से संबंधित जुड़ी बातें, सोने के ज्वैलरी लेना आदि वर्जित माने गए हैं।

तामसिक भोजन का नहीं करना चाहिए सेवन

👉इस दौरान तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मदिरा, चिकन, मछली, अंडा,लहसून-प्याज आदि नहीं खाना चाहिए।

👉पितृ पक्ष में जीव जंतुओं को नहीं सताना चाहिए साथ ही उन्हें भोजन आदि देना चाहिए। जितना हो सके ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करना चाहिए। साथ ही जरूरत मंदो की सेवा अवश्य करें और लोगों की बुराई आदि करने से भी स्वयं को दूर रखें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *