हैप्पीनेस लैब एवं हाऊ टू मेंटेन योर मेंटल हेल्थ विषयक चार दिवसीय कार्यशाला का कुलपति प्रो० बिष्ट ने किया उद्घाटन

हैप्पीनेस लैब एवं हाऊ टू मेंटेन योर मेंटल हेल्थ विषयक चार दिवसीय कार्यशाला का कुलपति प्रो० बिष्ट ने किया उद्घाटन

आज मनोविज्ञान विभाग, एस एस जीना परिसर,अल्मोड़ा में हैप्पीनेस लैब एवं हाऊ टू मेंटेन योर मेंटल हेल्थ विषयक चार दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट , पूर्व कुलपति एवं संकायाध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट, कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में परिसर निदेशक प्रो पी एस बिष्ट, कुलसचिव डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट, पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो आराधना शुक्ला, विशेषज्ञ डॉ शेरिंग डोलकर और डॉ वल्लभी कुकरेती,कार्यक्रम संयोजक प्रो मधुलता नयाल आदि ने हैप्पीनेस लैब का उद्घाटन किया साथ ही कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलन के साथ उद्घाटन किया। 

मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा परामर्श

कार्यक्रम संयोजक एवं मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 मधुलता नयाल ने सभी अतिथियों के स्वागत के पश्चात कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि मनोविज्ञान विभाग में स्थापित हैप्पीनेस लैब में अल्मोड़ा परिसर के छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा परामर्श दिया जाएगा और तनाव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही चार दिवसीय कार्यशाला में तनाव, व्यवहार, अवसाद आदि पर चर्चा के साथ रोगियों को खुश रहने, तनाव मुक्ति के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्य अतिथि रूप में कुलपति प्रो० सतपाल सिंह बिष्ट ने मानसिक स्वास्थ्य में बढ़ती हुई विकृति खास कर चिंता, तनाव एवं अवसाद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में ये विकृतियां निरन्तर बढ़ रही है आज हम सभी को मानसिक स्वास्थ्य के उन्नयन हेतु सचेत होना आवश्यक है उन्होंने इस हेतु विभिन्न कार्यशालाओं एवं जनजागरुकता को प्रोत्साहन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम निश्चित ही विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ समाज के लिए भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति एवं संकायाध्यक्ष प्रो जगत सिंह बिष्ट ने मनोविज्ञान के भारतीय ज्ञान परम्परा को प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे वेद, पुराणों उपनिषदों में मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने की बात की है।

जब से मनुष्य का अस्तित्व है तब से मनोविज्ञान का भी अस्तित्व है

उन्होंने कहा कि जब से मनुष्य का अस्तित्व है तब से मनोविज्ञान का भी अस्तित्व है।विशिष्ट अतिथि पूर्व संकायाध्यक्ष कला संकाय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान, कुमाऊँ विश्वविद्यालय प्रो0 आराधना शुक्ला ने कार्यशाला की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आज के आधुनिक दौर में मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ्य रखना अति महत्वपूर्ण है जिस हेतु उन्होंने सबसे पहले स्वयं पर काम करने पर जोर दिया और कहा कि इसके पश्चात ही हम समाज पर काम कर पाएंगे।
कार्यक्रम अध्यक्ष परिसर निदेशक प्रो0 पी0 एस0 बिष्ट ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का उन्नयन मन एवं विचारों की सकारात्मकता से है। उन्होंने मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्वविद्यालय एवं समाज के लिए समय-समय पर किए गए विभिन्न आयोजनों की सराहना की।

मन और शरीर एक दूसरे से सम्बन्धित

इसके पश्चात कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में सर्वप्रथम विषय विशेषज्ञ शेरिंग डोलकर, सहायक प्राध्यापिका, केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के संप्रत्यय को समझाया गया कि कैसे मन और शरीर एक दूसरे से सम्बन्धित है। कार्यशाला की इस श्रृंखला में  अगले चरण में स्वयं की भावनाओं की पहचान और स्वीकृति (आइडेन्टिफिकेशन एन्ड एक्नॉलेजमेंट) कराया गया। इसमें प्रतिभागियों ने अपने वर्तमान स्थिति को समझा और इसे स्वीकार किया ।
इसके पश्चात सभी प्रतिभागियों को ‘मानसिक तत्परता’ (मेंटल रेडिनेश) कराई गई । इस हेतु रिलैक्सेशन ट्रेनिंग में ब्रीथिंग टेक्नीक एवं  प्रोग्रेसिव मसल्स रिलेक्सेसन तकनीकी  कराई गई।
इसके पश्चात विषय विशेषज्ञ डॉ वल्लरी कुकरेती, सहायक प्राध्यापिका, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला देहरादून, ने आगे चरण  में, माइंडफुलनेस तकनीकी, स्टोन रिचुअल्स तकनीक, पॉजिटिव अफरमेशन एवं सेल्फ टॉक, लाफिंग  इत्यादि तकनीकों से  सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया।

इस अवसर पर उपस्थित जन

इस अवसर पर गीतम भट्ट, रजनीश जोशी ने संचालन किया और विभाग के डॉ प्रीति टम्टा, डॉ रुचि कक्कड़, डॉ सुनीता कश्यप, डॉ कविता सिजवाली, डॉ पूजा, डॉ मीना सहित शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने सहयोग दिया।
कार्यक्रम में प्रो शेखर चंद्र जोशी विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी शामिल हुए।
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