कर्मयोगी महापुरुष स्व० सोबन सिंह जीना की 116वीं जयंती की पूर्व दिवस के अवसर पर विचारगोष्ठी आयोजित
सोबन सिंह जीना जी की 116 वीं जयंती के अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,परिसर अल्मोड़ा द्वारा ‘ सोबन सिंह जीना : कृतित्व एवं व्यक्तित्व’ पर गणित विभाग के सभागार में विचार गोष्ठी आयोजित हुई। इस विचार गोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि रूप में पूर्व कुलपति एवं संकायाध्यक्ष कला प्रो जगत सिंह बिष्ट, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि रूप में कुलसचिव डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट , प्रो विद्याधर सिंह नेगी, कार्यक्रम आयोजक सचिव डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने संयुक्त रूप से किया।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर स्व. जीना जी के चित्र पर पुष्पार्पण किया। इसके साथ ही संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की मनमोहक प्रस्तुति दी।
संचालन करते हुए डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने सोबन सिंह जीना जी के व्यक्तित्व और उनके योगदानों पर प्रकाश डाला एवं रूपरेखा प्रस्तुत की।
सोबन सिंह जीना जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला
विशिष्ट अतिथि रूप में पूर्व कुलपति एवं संकायाध्यक्ष कला प्रो० जगत सिंह बिष्ट ने सोबन सिंह जीना जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सोबन सिंह जीना जी छोटे से गांव सुनौली में साधारण कृषक परिवार में जन्मे थे। 1909 के दौर में तब सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक स्थितियां कैसी रही होंगी, ये आप आज अनुमान लगा सकते हैं। तब पर्वतीय क्षेत्र की स्थिति बहुत कठिन थी, ऐसे में उन्होंने हाईस्कूल, इंटर एवं उच्चशिक्षा ग्रहण कर वकालत की और पर्वतीय क्षेत्र की सेवा की। उन्होंने कहा जीना जी ने अल्मोड़ा को कर्मक्षेत्र चुना। उनका समाज के प्रति समर्पण देखने योग्य है। जब हम उनका अध्ययन करते हैं तो उनका विशाल और प्रेरणादायी व्यक्तित्व दिखाई देता है। उन्होंने वकालत के साथ सामाजिक जीवन को नहीं छोड़ा। उस समय उन्होंने शिक्षा की अलख जलाई और शिक्षण संस्थाओं को खोला।
जीना जी जैसे महानायकों को जानना जरूरी
प्रो० विद्याधर सिंह नेगी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जीना जी जैसे महानायकों को जानना चाहिए। उन्होंने जीना जी को लेकर बनाये गए न्यास की जानकारी दी। और कहा कि जीना जी से संबंधित पुस्तकों को पुस्तकालयों में होना चाहिए। जीना जी की बहुमुखी प्रतिभा रही है। उनकी जयंती में आना हमारा सौभाग्य है।
आयोजकों को दी शुभकामनाएं
मुख्य अतिथि रूप में कुलपति प्रो० सतपाल सिंह बिष्ट ने अपने वक्तव्य में महत्वपूर्ण आयोजन के लिए आयोजकों को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि महापुरुष सोबन सिंह जीना जी एक महान व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने अपने बहुआयामी व्यक्तित्व से क्षेत्र की समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि नकारात्मकता से बचें और सकारात्मक रहकर अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि जीना जी 4 घंटे से अधिक नहीं सोते थे। उन्होंने अपने जीवन का हिस्सा समाज के उन्नयन के लिए लगाया। परिसर में विश्वविद्यालय के विकास के लिए कार्य करें। आप उस महत्व व्यक्ति के जीवन से सीख लेने के लिए स्मरण करें।
जीना जी का इस पर्वतीय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा योगदान
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो० प्रवीण सिंह बिष्ट ने आभार जताया और कहा स्वर्गीय जीना जी का इस पर्वतीय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। हमें जीना जी के व्यक्तित्व से सीख लेकर काम करने की जरूरत है। ऐसे महान व्यक्ति की जयंती अवसर पर हमें सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों, आयोजक मंडल के सदस्यों का आभार जताया।
इस अवसर पर उपस्थित जन
इस अवसर पर हिमांशु जोशी, रश्मि आर्या, तनुजा,पंकज कुमार, मीनाक्षी आदि विद्यार्थियों ने बात रखी।
इस विचार गोष्ठी में बागेश्वर परिसर के निदेशक प्रो गिरीश चन्द्र साह, प्रो हरीश जोशी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ संजीव आर्या, कुलानुशासक डॉ नंदन सिंह बिष्ट,डॉ प्रीति आर्या, डॉ एच आर कौशल (संकायाध्यक्ष, वाणिज्य) , डॉ रिज़वाना सिद्धिकी (संकायाध्यक्ष, शिक्षा), डॉ प्रतिभा
फुलोरिया, डॉ सबीहा नाज, आशुतोष (शोधार्थी,मॉस्को यूनिवर्सिटी, रूस), डॉ ममता पंत, डॉ नवीन भट्ट, डॉ देवेंद्र धामी, डॉ विजय बल्लभ, डॉ दीपक टम्टा, डॉ गौरव कर्नाटक , डॉ गिरिजा शंकर पांडेय,डॉ प्रीति टम्टा, डॉ रुचि कक्कड़, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ लता आर्य, डॉ पूरन जोशी, लल्लन कुमार सिंह,डॉ पवन जोशी, डॉ बी सी एस चौहान, डॉ तिलक जोशी, दान सिंह, जीवन मठपाल, मनीष तिवारी,पूरन सिंह, जयवीर सिंह नेगी, गणेश तिवारी, आदि के साथ शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारीगण शामिल हुए।