अल्मोड़ा: एसएसजे में आयोजित हुई “कौन बनेगा स्वास्थ्य रक्षक” प्रतियोगिता

एसएसजे विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में शुक्रवार को इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग से “कौन बनेगा स्वास्थ्य रक्षक”  प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन  किया गया।

बहुत ही कम खर्चे में प्राकृतिक चिकित्सा असाध्य से असाध्य रोगों के निवारण में रामबाण सिद्ध हुई

  जिसमे योग विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं ने बड़ चढ़ के भाग लिया । योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष,इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन  उत्तराखंड राज्य के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर नवीन भट्ट ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया सोबन सिंह जीना  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति सकारात्मक पहल के फलस्वरुप यह कार्यक्रम संचालित हो पाया।

साथ ही उन्होंने बताया  कि वर्तमान समय में भाग दौड़ भरे जीवन में  प्राकृतिक चिकित्सा कितनी महत्त्वपूर्ण है और बताया बहुत ही कम खर्चे में प्राकृतिक चिकित्सा असाध्य से असाध्य रोगों के निवारण में रामबाण सिद्ध हुई है।

प्राकृतिक चिकित्सा संपूर्ण विश्व में अपना परचम लहरा रही

शोधार्थी  रजनीश जोशी ने प्राकृतिक चिकित्सा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है तब से ही प्राकृतिक चिकित्सा चलती आ रही है कालखंड  परिवर्तन के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा विलुप्त सी हो गई थी , और समाज में तीर्व औषधियो का बोल बाला होने लगा जिससे चंद समय के लिए लाभ तो हो रहा था लेकिन बीमारियां शरीर के अंदर दबी  रह जा रही थी जिससे वही रोग बाद में असाध्याय रोग का रूप ले रहा था वर्तमान समय में फिर से प्राकृतिक चिकित्सा संपूर्ण विश्व में अपना परचम लहरा रही है और अनेक असाध्य रोगों को दूर कर रही है।।

कार्यक्रम में मौजूद रहे

सहायक अध्यापक लल्लन कुमार सिंह ने उपवास चिकित्सा का वर्णन करते हुए उपवास के अनेक लाभों के बारे में बताया साथ ही गिरीश अधिकारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में भावना उपाध्याय , चंदा नेगी, भावना बिनवाल, लोकेश तिवारी, अकीत, प्रमोद,पंकज,पायल बिष्ट, भाषा बिष्ट, भावेश कांडपाल , हर्षिता,  कुंवर, बेबी शुक्ला, विद्या खेतवाल, बीना पांडे, साक्षी, चेतना, नीतू, बबीता कांडपाल, पूजा बिष्ट, गंगा, काजल आदि मौजूद थे।

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