चंद्रयान के सफल अवतरण के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर माला मिश्र की स्वरचित कविता

अतुल्य भारत का अभेद्य चंद्रारोहण और अभिनव पदश्चरण

आजादी के अमृत महोत्सव में चंद्रयान तीन ने अद्वितीय इतिहास आज बनाया है ,
भारत के ज्ञान – विज्ञान ने चन्द्र के अलक्षित ध्रुव को गंतव्य बनाया है।
आज चन्द्रयान तृतीय ने चीन ,रूस और अमरीका को भर भर पानी पिलाया है ,
विक्रम के अतुल्य शौर्य ने चंद्र का संधान कराया है ,
इसरो के वैज्ञानिक अनुसंधानों ने चंद्रमा को इतना पास बुलाया है ,
उत्तर से दक्षिण ध्रुवों पर परचम तिरंगा फहराया है ,
शिवोअहम का मंत्र आज चंद्रयान तीन ने गाया है,
भारतीय मेधा से अभिमंत्रित यान चंद्र सफल आरोही बन पाया है ,
ज्ञान से प्रज्ञान का संगम भारत का नव युग लाया है ,
चंद्रमा के सुंदर सपने को युगनिर्माता नरेंद्र मोदी की प्रेरणा ने सफल साकार बनाया है ,
भारत के गौरव को वैज्ञानिकों की प्रखर प्रतिभा और अटूट श्रम ने चार चाँद लगाया है,
आया आया आया है
नवभारत का नवयुग ये सुंदर आया है ,
बुधवासर के साथ शुभता का ऐसा अक्षय स्रोत प्रतीक्षित राष्ट्र ने पाया है,
नई चेतना ,नई उमंग ,नए साहस और नए विश्वास का ‘ चंद्रारोहण ‘ कर भारत ने विश्वभर को लोहा मनवाया है।
श्रावण शुक्ला सप्तमी की उत्सवधर्मिता का नवपर्व आज मानो ‘ रामयुग ‘ ले आया है ,
सोमनाथ की विजयीमुद्रा का अद्भुत ,अकल्पनीय अभिराम अवसर यह आया है,
नित नई नवता का मनभावन मंच आज विधना ने सुखद सजाया है,
चंद्रमा की विविध छटाओं से निकट साक्षात्कार का यह मनहर दृश्य हम भारतीयों को मनभाया है ,
आया आया आया है ,
धरती का चंद्र से अलौकिक मिलन का रक्षाबंधन पर्व आज साक्षात सृष्टि ने रचाया है।

जय ज्ञान ,जय विज्ञान ,
जय जय जय हो भारत के अनुपम चंद्रयान ।।

स्वरचित कविता
प्रोफेसर माला मिश्र
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिनांक :- 23.08.2023

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