मानसखंड की स्थापना को लेकर हुआ डिस्कशन, राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

मानसखंड की स्थापना को लेकर हुआ डिस्कशन, राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

नेपाल अध्ययन केंद्र (अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद) द्वारा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के स्वामी विवेकानन्द-महात्मा गांधी आध्यात्मिक पर्यटन परिपथ, अध्ययन केंद्र , मौलाना अबुल कलाम आजाद, इंस्टिट्यूट ऑफ एसियन स्टडीज और  आई.सी.एच.आर.के सहयोग से  विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सभागार में  तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ।

समापन से पूर्व संचालित हुए तकनीकी सत्र संचालित हुआ जिसमें राम परांडे, प्रो वीनू पंत, डॉ हेमा उनियाल बतौर मंचासीन रहे।  उन्होंने मानसखंड को लेकर चर्चा की। डॉ लवी त्यागी (समन्वयक, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद) ने मानसखंड के ऐतिहासिक पक्ष पर विस्तार से जानकारी दी।

मानसखंड को लेकर विचार साझा किये

इसके उपरांत मानसखंड अध्याय के स्थापना को लेकर पैनल डिस्कशन एक चेयर, सेंटर फॉर मानसखंड एंड हिमालयन स्टडीज, शार्ट टर्म डिप्लोमा कोर्सेज फ़ॉर स्पिरिचुअल टूरिज्म ऑन मानसखंड, मानसखंड प्रचारिणी सभा के स्थापना को लेकर पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट, समापन सत्र के अध्यक्ष प्रो डी एस रावत (कुलपति,कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल), विशिष्ट अतिथि प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी (,पूर्व कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय), विशिष्ट अतिथि प्रो राजीव नयन, विशिष्ट अतिथि प्रो राजेश खरात, श्री राम परांडे उपस्थित रहे। इसका संचालन डॉ श्वेता सिंह ने कियासमापन सत्र पर इन अतिथियों ने मानसखंड को लेकर विचार साझा किये।

स्थानीय संयोजक डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया (संयोजक स्वामी विवेकानन्द आध्यत्मिक पर्यटन परिपथ,अध्ययन केंद्र) ने मानसखंड को लेकर आयोजित कार्यक्रम में रूपरेखा प्रस्तुत कर संचालन किया।

मानसखंड को समझने के लिए एक बहुआयामी चेयर की स्थापना होगी

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रो0 सतपाल सिंह बिष्ट ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि मानसखंड को समझने के लिए एक बहुआयामी चेयर की स्थापना होगी, जो वैश्विक पटल पर दिखाई देगा।  उन्होंने कहा कि मानसखंड को लेकर आध्यात्मिक यात्राएं होनी चाहिए जिससे सांस्कृतिक,ऐतिहासिक, पुरातात्विक,सामाजिक स्थितियों को जानने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी विवेकानन्द आध्यात्मिक पर्यटन परिपथ अध्ययन केंद्र की स्थापना के बाद स्वामी विवेकानन्द जी के साथ क्षेत्र को जानने की पहल शुरू हो चुकी है।  हिमालयन फोटोग्राफी, टूरिज्म पाठ्यक्रम को संचालित कर रहे हैं जो मानसखंड को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मुख्य अतिथि प्रो दीवान सिंह रावत ने कहा कि मानसखंड के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल निरंतर प्रयास कर रहा है। जसुली देवी शौकयानी जी को लेकर सुयालबाड़ी के पास धर्मशाला का जीर्णोद्धार कर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास किया है। ऐसे ही हम सभी को मानसखंड के तहत नेपाल एवं भारत के अकादेमिक सदस्यों को काम करने की जरूरत है। उन्होंने अकादेमिक कार्यक्रमों में मानसखंड को प्रमुखता से रखना होगा। हमें शिक्षा के महत्व को समझना होगा।

मानसखंड की अकादेमिक गतिविधियों को तीव्रता से बढ़ाना होगा

प्रो० नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि मानसखंड की अकादेमिक गतिविधियों को तीव्रता से बढ़ाना होगा। मानसखंड को लेकर अध्ययन किये जाने की जरूरत है और पुस्तकें प्रकाशित करने की जरूरत है। सरकार कस सहयोग लेने की आवश्यकता होगी। जनमानस तक जाने के लिए कार्यक्रम हो।
प्रो राजेश खरात ने कहा कि मानसखंड को लेकर विश्वविद्यालय सिस्टम में ही स्थापना हो, उद्देश्य निर्धारित हो, उसकी स्थापना के बाद कि स्थितियों को भी ध्यान रखा जाए। मीडिया के माध्यम से मानसखंड को लेकर किये जा रहे कार्यों को ले जाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि प्रो सुनील नौटियाल (निदेशक, GB पंत पर्यावरण संस्थान,कोसी-कटारमल) ने मानसखंड चेयर को संस्थान की तरफ से पूरा सहयोग देने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत एवं नेपाल के बीच संबंधों में मधुरता हो।
श्री श्याम परांडे ने कहा की मानसखंड की स्थापना के लिए सभी व्यवस्था सुनिश्चित हो। उन्होंने पैनल डिस्कशन का संचालन किया।   इस अवसर पर प्रो० दया पंत ने सहयोग लेकर  मानसखंड को लेकर कार्य करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला में अतिथियों को शिरोवेष पहनाकर और प्रतीक चिन्ह देकर तथा सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।
समापन करते हुए श्री श्याम परांडे (जनरल सेक्रेट्री, अन्तराष्ट्रीय सहयोग परिषद, नई दिल्ली) ने कार्यशाला के निष्कर्ष को प्रस्तुत किया और प्रोफेसर राजेश खरात ने कार्यक्रम की समीक्षा प्रस्तुत की और सबका आभार जताया। 
संचालन स्थानीय संयोजक डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया और आयोजक सचिव डॉ ललित चंद्र जोशी ने किया।

इस अवसर पर उपस्थित जन

इस अवसर पर प्रो सुनील नौटियाल (निदेशक, GB pant कोसी कटारमल), राजीव नयन (सदस्य, मकायस) , डॉ लवी त्यागी (अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद), डॉ. स्वेता सिंह, श्री रेवित, डॉ महेश कुमार, नवनीत यादव, मोहित कोइराला, कुलदीप, प्रो देवसिंह पोखरिया, डॉ दया पंत, दीप्ति शर्मा, सुश्री सम्भावी, डॉ  रितेश साह (दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ ललित जोशी आदि सहित कई राज्यों के विद्वानों ने मानसखंड को लेकर आयोजित हुई कार्यशाला में भागीदारी की।
बॉक्स: सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में चेयर की स्थापना के लिए चर्चा हुई। सम्पूर्ण मानसखंड और हिमालय का अध्ययन इसके माध्यम से होगा।

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