महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि किशोर न्याय संशोधन अधिनियम 2015 में संशोधन के बाद देश भर के जिलाधिकारियों ने सवा दो हजार बच्चों को गोद लेने का अनुमति पत्र जारी किया है।
16 जून 2023 तक यह आंकड़ा सवा दो हजार
मंत्रालय ने कहा कि जब संसद में संशोधन पेश किया गया था, तो देश भर की अदालतों में गोद लेने के 997 आदेश लंबित थे। संशोधन के बाद गोद लेने के कुल 858 आदेश तुरंत दिए गए और 16 जून 2023 तक यह आंकड़ा सवा दो हजार है।
पिछले वर्ष लागू हुआ अधिनियम
ये अधिनियम पिछले साल सितंबर में लागू हुआ था। इसके अंतर्गत अदालतों के बजाय जिलाधिकारी गोद लेने का आदेश जारी कर सकते हैं।अधिनियम के अनुसार जिलाधिकारी जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोर्ड, विशेष किशोर पुलिस इकाइयों, बाल देखभाल संस्थानों आदि के कामकाज का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करेंगे।