बारिश के मौसम में ऐसे करें बीमारियों से बचाव,जानें कुछ टिप्स
बरसात का मौसम शुरू होने वाला है और कुछ ही दिनों बाद पूरे भारत में मॉनसून अपने पैर पसार लेगा। हालांकि बारिश की रिमझिम फुहारें तन और मन खुश करने के साथ ही मौसम को भी खुशनुमा बना देती हैं और गर्मी के मौसम से निजात दिलाती हैं, लेकिन बरसात का ये मौसम अपने सात कई तरह की बीमारियां भी लेकर आता है।
अगले कुछ दिनों में भारत में पैर पसार लेगा मानसून
अगले कुछ दिनों में दक्षिण भारत में मानसून के आगमन की उम्मीद जताई जा रही है। उसके बाद मानसून उत्तर भारत और देश के अन्य हिस्सों में अपने कदम बढ़ाता जाएगा। मानसून के सीज़न में आपको अपनी सेहत के प्रति अधिक सजग रहने की जरूरत है, क्योंकि बरसात के कारण पानी भरने, गंदगी, कीड़े-मकौड़े या मच्छरों के कारण कई तरह की बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं। यदि आप बरसात में होने वाली इन बीमारियों के बारे में जानकारी रखेंगे, तो इनसे बेहतर तरीके से बचाव करने में मदद मिल सकेगी।
बारिश के मौसम में लापरवाही बरतने से हो सकती हैं ये बीमारियां
1. मलेरिया
ये बीमारी एनोफेलीज़ नामक मच्छर के काटने से फैलती है। इसके डंक के जरिए प्लास्मोडियम नामक पैरासाइट व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और रेड ब्लड सेल्स को तेजी से नष्ट करने लगता है। पुराने समय में मलेरिया का उपचार उपलब्ध न होने के कारण इस बीमारी से कई लोगों की मौतें हुई हैं। हालांकि वर्तमान में इस बीमारी का इलाज संभव है।
2. टाइफाइड
एंटेरिका सेरोटाइप टाइफी नामक बैक्टीरिया भोजन के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसकी वजह से यह गंभीर संक्रामक रोग फैलता है। दरअसल संक्रमित व्यक्ति के मल में भी यह बैक्टीरिया जीवित रहता है। खुले में शौच की आदत और सीवेज सिस्टम की व्यवस्था अच्छी न होना इस रोग के फैलने के आम कारण हैं। यह बैक्टीरिया महीनों तक जीवित रहता है और बहुत तेजी से फैलता है। इसी वजह से संक्रमित व्यक्ति को स्वस्थ होने में कम से कम दो सप्ताह का समय लग सकता है।
3. हेपेटाइटिस ए और ई
बरसात के मौसम में दूषित खानपान के कारण सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस ए और ई की समस्या होती है। वायरस की वजह से होने वाले इस हेपेटाइटिस नामक लिवर संक्रमण के कई प्रकार होते हैं, लेकिन आम बोलचाल की भाषा में इसे जॉन्डिस या पीलिया भी कहा जाता है।
4. डेंगू
मच्छर के डंक के जरिए व्यक्ति के शरीर में फ्लैवी वायरस का प्रवेश हो जाता है और वहां तेजी से इसकी संख्या बढ़ने लगती है। बता दें कि एडीज़ प्रजाति की मादा मच्छर इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है।
5. गैस्ट्रोइंटाइटिस
यह एक पेट से जुड़ी समस्या है। सफाई का ध्यान न रखने पर पानी या भोजन के जरिए नुकसानदेह बैक्टीरिया व्यक्ति की आंतों में पहुंचकर वहां सूजन पैदा करते हैं, जिससे पाचन-तंत्र के कार्यों में रूकावट पैदा होती है। आमतौर पर इसे डायरिया या स्टमक फ्लू कहा जाता है।
5. चिकनगुनिया
बरसात के मौसम में एडिस इजिप्टी और एडिस एल्बोपिकटस नामक मच्छरों के काटने से यह बीमारी होती है। उसमें मच्छर के काटने के चार से छह दिनों बाद व्यक्ति में इसके लक्षण नजर आते हैं।
बारिश के मौसम में ऐसे करें बीमारियों से बचाव
* इस मौसम में जितना हो सके पानी उबाल कर ही पिएं।
* टाइफाइड, मलेरिया और हेपेटाइटिस से बचे रहने के लिए टीके अवश्य लगवाएं।
* मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सफाई का ध्यान रखें कहीं भी पानी जमा न होने दें।
* बेडशीट को समय-समय पर धोते रहें और कपड़ों व बिस्तर को भी धूप में सुखाते रहें।
* मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बाजू वाले कपड़े पहनें।
* सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
* घर के दरवाजे व खिड़कियों पर नेट की व्यवस्था करें ताकि मच्छर, मक्खी और दूसरे बीमारी फैलाने वाले किटाणुओं का प्रवेश न हो पाए।