ग्रहों की कमजोर स्थिति से होते हैं विभिन्न रोग, ग्रह दोष से बचने के उपाय

ग्रहों की कमजोर स्थिति से होते हैं विभिन्न रोग

ग्रहों की कमजोर स्थिति से होते हैं विभिन्न रोग, ग्रह दोष से बचने के उपाय

भारतीय संस्कृति की पौराणिक मान्यताओं और आस्था के चलते आज भी ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का संबंध न सिर्फ हमारे दैनिक जीवन से होता है, बल्कि ग्रह प्रबल स्थिति में होने से शुभ और कमजोर होने की स्थिति में अशुभ फल मिलने की संभावना भी रहती है। शारीरिक और मानसिक रूप से होने वाली कुछ बीमारियां भी ग्रहों के कमजोर होने का दुष्परिणाम हो सकता है। इतना ही नहीं अलग अलग ग्रहों की दशा खराब होने से के हमारे शरीर में कुछ विशेष अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों और स्वास्थ्य समस्याओं का गहरा संबंध है। किसी ग्रह के कमजोर होने से जातकों को उस ग्रह से संबंधित समस्या हो सकती है। अगर किसी को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और लाख कोशिशों के बाद भी उस बीमारी से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है अथवा परिवार का कोई सदस्य बार-बार बीमार हो रहा है तो इसके पीछे का कारण ग्रहों को दशा भी हो सकती हैं। किसी विद्वान ज्योतिषी से न केवल आप अपने पिछले रोगों के बारे में जान सकते हैं, बल्कि वर्तमान रोग और भविष्य में होने वाली बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त करके स्वयं को सतर्क रखने में सक्षम हो सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह और उसमें आने वाले परिवर्तनों का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। किस ग्रह के दोष से कौन से रोग होने की संभावना अधिक होती हैं और ज्योतिष के अनुसार अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में कोई विशेष ग्रह प्रतिकूल स्थिति में हो तो जातक को उस ग्रह से संबंधित कौन से रोग हो सकते हैं। आइए जानते हैं—


दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है। इसमें व्यक्ति द्वारा अपना विवेक खो देना, शरीर में अकड़न आ जाना, मुंह और दांतों में तकलीफ, सिरदर्द ,मुंह में थूक बना रहना,रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट, स्नायविक रोग, नेत्र रोग, हृदय रोग, हड्डी रोग, कुष्ठ,रक्त रोग, दिल का रोग, जैसे धड़कन का कम-ज्यादा होना,  बेहोशी का रोग हो जाता है। इसके अलावा सूर्य व्यक्ति को पित्त, रंग, जलन, पेट के रोग,  मिर्गी आदि सहित शारीरिक समस्याएं दे सकता है। इनमें से यदि आपको कोई रोग या समस्या है, तो यह जन्म कुंडली में सूर्य की प्रतिकूल स्थिति के कारण हो सकता है।


चन्द्र मुख्य रूप से शरीर के बाएं भाग से संबंध रखता है। हृदय संबंधी बीमारियां, मासिक धर्म गड़बड़ाना और स्मरण शक्ति कमजोर हो सकती है। मानसिक तनाव और मन में घबराहट, शंका और अनिश्चित भय, ,मिर्गी का रोग, पागलपन, बेहोशी, सर्दी-जुकाम बने रहने के अलावा व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आ सकते हैं। इसके अलावा कोई भी समस्या जो दिल और फेफड़े, बायीं आंख,मधुमेह, ड्रॉप्सी, अपेंडिक्स, खांसी की बीमारी, मूत्र विकार, अनिद्रा या नींद से संबंधित समस्या, अस्थमा, डायरिया, एनीमिया, रक्त विकार, उल्टी, मानसिक तनाव, किडनी अथवा मुंह से संबंधित है, हो सकती है। चंद्रमा से दांत, नाक, पीलिया, अवसाद और हृदय की उत्पत्ति होती है, इसलिए इन अंगों से जुड़ी समस्याओं के पीछे व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा की बिगड़ी स्थिति हो सकती है।


बुध दोष के कारण गुप्त रोग, नाखून और बाल कमजोर होना,व्यक्ति को छाती के रोग, नसों, नाक, बुखार, खुजली, टाइफाइड, पाचन क्षमता में दिक्कत, शरीर के किसी भी हिस्से में लकवा, मिर्गी, अल्सर, अपच, मुंह के रोग,  त्वचा रोग से संबंधित समस्या होना, हिस्टीरिया, चक्कर आना, सूंघने की शक्ति क्षीण होना, दांत कमजोर हो जाना, व्यक्ति की वाक् क्षमता चली जाना,
, पागलपन,  निमोनिया, कण्ठमाला, चेचक, नसों की कमजोरी, जीभ और दांतों के रोग, मस्तिष्क से संबंधित समस्याएं, अजीब बुखार, पीलिया और हकलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


मंगल ग्रह के दोष के कारण शरीर में कंपन होना, गुर्दे में पथरी हो जाना, आदमी की शारीरिक ताकत कम हो जाना,एक आंख से दिखना बंद हो जाना, शरीर के जोड़ काम नहीं करना, गर्मी से संबंधित रोग, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, वात रोग, गठिया रोग, फोड़े-फुंसी होते हैं, जख्मी या चोट, बार-बार बुखार आना,  मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होना और रक्त की कमी या अशुद्धि हो सकती है। इसके अलावा बच्चे पैदा करने में तकलीफ या बच्चे का जन्म होकर मृत्यु होना,रक्त या रक्तचाप से संबंधित रोग, गर्दन और गले की बीमारी, मूत्र रोग, ट्यूमर, कैंसर, बवासीर, अल्सर, दस्त, आकस्मिक रक्तस्राव,विषाक्त रोग, पट्टी का कटा हुआ हिस्सा, फोड़े, बुखार, आग में जलन, चोट,अल्सर, कुष्ठ रोग, खुजली, गर्मी के चकत्ते आदि समस्याओं का कारण जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति हो सकती है।


मानव शरीर में नेत्र, गाल, ठुड्डी और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है। शुक्र के खराब होने की स्थिति में वीर्य की कमी होना, किसी प्रकार का यौन रोग होना या व्यक्ति में कामेच्छा समाप्त हो जाती है। इसके अलावा गुर्दे का दर्द, पांव में तकलीफ, जननांग रोग, मूत्र मार्ग के रोग, यौन रोग, मिरगी, अपच, गले के रोग, नपुंसकता, यौन रोग, लगातार अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठे का बेकार हो जाना, शरीर में त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होना, अंतड़ियों के रोग, अंतःस्रावी ग्रंथि रोग, और मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग, पीलिया और बांझपन शुक्र के खराब होने की निशानी है।


बृहस्पति के बुरे प्रभाव से श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द आदि होने लगता है। गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ मेल से भी कई बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार आदि। इसके अलावा जातक की कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द की समस्या भी होने लगती है। बृहस्पति की बुरी दशा के चलते व्यक्ति को यकृत, गुर्दा, तिल्ली, यकृत पीलिया, मोटापा, दंत रोग, मस्तिष्क विकार,कान से संबंधित रोग, मधुमेह, पीलिया, स्मृति हानि, जीभ से संबंधित कोई समस्या, बछड़ा रोग, मज्जा दोष आदि से संबंधित कोई रोग हो सकता है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को इनमें से कोई भी समस्या है, तो इसके लिए उनकी जन्म कुंडली में बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति को जिम्मेदार माना जा सकता है।


शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी से होता है। इसके अलावा शनि के दोष के कारण व्यक्ति को कनपटी की नसों में दर्द,  समय पूर्व ही सिर के बाल झड़ जाना और फेफड़े सिकुड़ने जैसी समस्या होने लगती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसके अलावा शारीरिक कमजोरी, शरीर में दर्द,  समय पूर्व आंखें कमजोर होना, भवों के बाल झड़ जाना, हड्डियां कमजोर होना, जोड़ों का दर्द भी पैदा हो जाना, पेट दर्द, घुटने या पैर में दर्द, दांत या त्वचा रोग, फ्रैक्चर, रक्त की कमी और रक्त में बदबू बढ़ जाना, अनावश्यक चिंता और घबराहट बढ़ जाना,  मांसपेशी रोग, पक्षाघात, बहरापन, खांसी, अस्थमा, अपचन, तंत्रिका विकार,पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना, सिर की नसों में तनाव आदि समस्याएं हो सकती हैं। कुण्डली में शनि की बिगड़ी स्थिति के कारण इनमें से कोई भी समस्या हो सकती है।

राहु दोष के कारण उदर रोग,  बवासीर, पागलपन, निरंतर मानसिक तनाव,मस्तिष्क विकार, यकृत विकार, कमजोरी, चेचक, पेट में कीड़े, गैस प्रॉब्लम, बाल झड़ना, नाखून अपने आप ही टूटने लगना, ऊंचाई से गिरने के कारण चोट, पागलपन, तेज दर्द, जहरीली समस्या और पशुओं के कारण होने वाले शारीरिक दर्द से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा राहु कुष्ठ रोग, कैंसर, बुखार, मस्तिष्क विकार, अचानक चोट और दुर्घटना आदि के लिए भी जिम्मेदार है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को इनमें से कोई भी समस्या है तो निश्चित रूप से जन्म कुंडली में राहु की बिगड़ी स्थिति देखी जा सकती है।

केतु दोष से शरीर में चोट, घाव, एलर्जी, अचानक बीमारी, परेशानी, कुत्ते के काटने, शुगर, कान, उनींदापन, हर्निया, और जननांग रोग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यदि रीढ़ की हड्डी में समस्या,आमवाती रोग, रक्तस्राव, त्वचा रोग, कमजोरी, ठहराव और जोड़ों का दर्द जैसी समस्या हो तो जातक की जन्म कुंडली में केतु की प्रतिकूल स्थिति को जिम्मेदार माना जा सकता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जहां सभी ग्रहों से जुड़ी समस्याएं अलग अलग हैं। वहीं इससे छुटकारा पाने के लिए किए जाने वाले उपाय भी विभिन्न हैं। ग्रहों से संबंधित कौन से उपाय और आयुर्वेद के सुझाए समाधान उन ग्रहों से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से खुद को बचाने में मदद कर सकते हैं, आइए जानते हैं —

1) सूर्य ग्रह दोष के लिए उपाय

🟣सूर्य देव से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
🟠प्रतिदिन कम से कम 5 मिनट नग्न आंखों से भगवान सूर्य को देखें।
🟣गरीब और जरूरतमंद बीमार लोगों की सेवा करें।
🟠प्रतिदिन सुबह सूर्य को अर्घ्य दें।
🟣सूर्य ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए सूर्य ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟠सूर्य के बीज मंत्र “ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

2) चंद्र ग्रह दोष के उपाय

🟣प्रतिदिन ध्यान और योग करें।
🟠प्रतिदिन मां का आशीर्वाद लें।
🟣प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और यदि संभव न हो तो हर सोमवार को ऐसा करें।
🟠महिलाओं का सम्मान करें।
🟣चंद्र ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟠चंद्र ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में चंद्र ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए चंद्र ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣चंद्र ग्रह के बीज मंत्र “ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

3) मंगल ग्रह दोष के उपाय

🟣अपने घर या आसपास नीम का पेड़ लगाएं और उसकी सेवा करें।
🟠प्रत्येक मंगलवार को बंदरों को केला खिलाएं।
🟣प्रत्येक मंगलवार को मंदिर जाएं और मिठाई का दान करें।
🟠मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करें।
🟣हर समय अपने साथ लाल रुमाल रखें।
🟠नियमित अंतराल पर रक्तदान अवश्य करें।
🟣मंगल ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟠मंगल ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में मंगल ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए मंगल ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣मंगल ग्रह के बीज मंत्र “ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

4) बुध ग्रह दोष के उपाय

🟣घर की महिलाओं को हरी चीजें भेंट करें।
🟠नियमित रूप से भगवान विष्णु या गणेश जी की पूजा करें।
🟣हरे रंग के कपड़े पहनें।
🟠कोई भी नया कपड़ा पहनने से पहले उसे हमेशा धो लें।
🟣रोजाना गायों को रोटी और हरी पालक खिलाएं।
🟠गरीब और जरूरतमंद छात्रों को शिक्षा की सामग्री वितरित करें।
🟣बुध ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟠बुध ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में बुध ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए बुध ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣बुध ग्रह के बीज मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

5) बृहस्पति ग्रह दोष के उपाय

🟣घर के पास केले का पेड़ लगाएं और उसकी सेवा करें।
🟠गाय को चने की दाल खिलाएं।
🟣गुरुवार के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
🟠प्रत्येक गुरुवार का व्रत करें।
🟣बृहस्पति ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।

🟠बृहस्पति ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए बृहस्पति ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣बृहस्पति ग्रह के बीज मंत्र “ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

6) शुक्र ग्रह दोष के उपाय

🟠शुक्रवार का व्रत करें।
🟣अपने जीवनसाथी का सम्मान करें और उन्हें इत्र या परफ्यूम भेंट करें।
🟠चमकदार, सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें।
🟣देवी दुर्गा या देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
🟠छोटी बच्चियों को मिठाई बांटें।
🟣शुक्र ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟠शुक्र ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए शुक्र ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣शुक्र ग्रह के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

7) शनि ग्रह दोष के उपाय

🟣घर के दक्षिण-पूर्व कोने में प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
🟠शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करें।
🟣रोज काले कुत्ते को खाना खिलाएं।
🟠हर शनिवार को शनि मंदिर में जाकर और उनकी मूर्ति को छुए बिना सरसों का तेल चढ़ाकर भगवान शनि की स्तुति करें।
🟣मांसाहार, शराब का सेवन, जुआ आदि गलत कार्य करने से बचना चाहिए।
🟠शनि ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟣उंगली में लोहे की अंगूठी पहनें।
🟠शनि ग्रह से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में शनि ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए शनि ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣शनि के बीज मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

8) राहु ग्रह दोष के उपाय

🟣ग्रहों से जुड़े रोग के लिए गले में चांदी पहनना आपके लिए उपयुक्त रहेगा।
🟠बहते पानी या नदी में चांदी के सांपों की एक जोड़ी फेंक दें।
🟣ग्रहों से जुड़े रोग से निवारण के लिए बहते पानी में 5 नारियल या कद्दू फेंक दें।
🟠ग्रहों से जुड़े रोग के लिए तांबे का दान करें।
🟣रविवार के दिन किसी तांबे के बर्तन में गेहूं या गुड़ रखकर बहते पानी या नदी में प्रवाहित कर दें।
🟠राहु ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟣ग्रहों से जुड़े रोग के निवारण, जन्म कुंडली में राहु ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए राहु ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟠राहु के बीज मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ||” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

9) केतु ग्रह दोष के उपाय

🟣ग्रहों से जुड़े रोगी प्रतिदिन स्नान के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

🟠केतु ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें।
🟣ग्रहों से जुड़े रोगी भूरे रंग के कपड़े पहनें।
🟠छोटे बच्चों में मिठाई बांटें।
🟣नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करना आपके लिए लाभदायक रहेगा।
🟠जन्म कुंडली में केतु ग्रह को शांत करने और उसके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए केतु ग्रह शांति पूजा करवाएं।
🟣केतु के बीज मंत्र “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

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