सरहद की रक्षा करते हुए भारत माँ के वीर शहीद संजय सिंह और उनके साथियों को श्रद्धांजलि। उनके बलिदान को स्मरण करते हुए मेरे (डॉ ललित योगी) हृदय से निकली हुई पंक्तियां-
सरहद बटिक आज म्यर भौ ऐरौ
डॉ ललित योगी
सरहद बटिक आज म्यर भौ ऐरौ
आपुंण दगेड़ी,पूरी पलटन लैरौ।
उतारो नजर येकि,परगो अछत येकी,
दुश्मनैकि छाति मैं खुट धरि ऐरौ।।सरहद बटिक….
आओ नानातिनो,तुम जल्दी आओ,
कांछा ओ बली,तम लै आओ।
म्यार कलेजी को छियो यौ तुकुड़,
आज जाणी किलै चुप हैबेर ऐरौ।सरहद बटिक….
आओ च्येलियो तुम तुलसी लाओ,
ओ ब्वारियो,तुम जैगान गाओ
ज्वान-जवान भौ छि यौ हमर
आज कीलै नींन में घरहूँ ऐरौ।।सरहद बटिक….
तिलक लगै,चौ दिशि कैं धत्याओ,
सरहदक रखवाल,गंगधार लगाओ
कदुक मोहिल छी यौ बान च्यल,
दुश्मन कैं भजै, वीर घर ऐरौ।।सरहद बटिक….
बात जगै दियो तुम बाट-घाट,
आरती करो रे सब भौकि आब।
दुश्मनाक ख़्वार डाम धरिबेर यौ,
दुश्मन कैं खिदेडि ऐरौ।।सरहद बटिक….
न हंसण यौ, न आब बुलाण,
बादव लै हैरी खरखराण।
झुरझुरी गई म्यार लै पराण,
छाती में गोई खैबेर ऐरौ।।सरहद बटिक….
*डॉ ललित योगी*