राम के दर्शन को अयोध्या है जगी
राम के दर्शन को अयोध्या है जगी,
सुमंत की आस भी अब पूरी हो रही।
रावण के कुटुंब का दहन हो चुका,
इसी उत्सव में अवध नगरी है सजी।।
दीपों से जगमग राजमहल भी सजे,
अहिल्या भी अब श्राप से मुक्त हुई।
सबरी के राम, आ रहे हैं अपने लला,
सुनी गालियां भी आज रामधुन गा रही।
सब राम, राम नगरी, राममय हो गयी
हनुमंत के सीने में राम,राम हर कहीं।
यह विश्व भी आज राम, राम रट रहा,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी हैं राम के प्रिय।
राम ही राम हैं, इत उत राम की छवि।
दशरथ के प्राणों में जान आ गयी।।
वनवास में ही बीते हैं कष्ट भरे दिन।
वर्षों की तपस्या आज सफल हो गयी।
बानर,जटायु और भालू के अपने राम,
नल नील से उनकी अब बात हो रही।
तेरे-मेरे नहीं, सबके हैं ये भोले राम।
अवध में बरसों से आज बहार आ गयी।।
देश ये सनातनी,राम के दीवाने हैं बहुत,
राम ही शिव हैं और शिव ही हैं राम जी।
भजो राम तुम,यह देश रामधुन गा रहा।
जीते हैं राम, जीती है राम की नगरी।।
राम के……….
-योगी
@अनकही स्मृतियाँ