पूर्व कुलपति प्रो० भंडारी ने गौरैया को बचाने का किया आह्वान, कहा पूर्व में पहाड़ों के निवासी प्रकृति के साथ करते थे आत्मीयता से व्यवहार
सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा के रसायन विज्ञान विभाग में गौरैया दिवस पर गोष्ठी आयोजित हुई। रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो० गिरीश चंद्र साह ने गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो० नरेंद्र सिंह भंडारी (पूर्व कुलपति), प्रो० सुशील कुमार जोशी (पूर्व परीक्षा नियंत्रक), अतिथि मोहन रावल ( प्रधानाचार्य, विवेकानन्द इंटर कॉलेज),कुलसचिव डॉ० देवेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ० प्रियंका सागर,डॉ० देवेंद्र सिंह धामी, डॉ० राजेश राठौर आदि का स्वागत एवं अभिनंदन किया।
पूर्व में पहाड़ों के निवासी प्रकृति के साथ बहुत आत्मीयता से व्यवहार करते थे
मुख्य अतिथि प्रो० नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज हम विश्व गौरैया दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में पहाड़ों के निवासी प्रकृति के साथ बहुत आत्मीयता से व्यवहार करते थे। विकास के फलस्वरूप गौरैया के घर टूट गए और गौरैया के आवास छीन गए। गौरैया के घोसलें टूटने से उनकी प्रजाति लुप्त होने लगी। हर किसी का एक मैत्रीपूर्ण सम्बंध है और व्यवस्था बनी है। हमें प्रकृति के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे कि प्रकृति में असंतुलन हो।उन्होंने गौरैया को बचाने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने गौरैया को बचाने के प्रयासों के भी चर्चा की।
पर्यावरण के साथ गौरैया का बहुत गहरा संबंध
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ०देवेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि पर्यावरण के साथ गौरैया का बहुत गहरा संबंध रहा है। विश्वविद्यालय स्तर से भी पर्यावरण के संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम आयोजित हो रहा हैं। ऐसे में गौरैया का संरक्षण भी होगा। भविष्य में गौरैया को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का संचालन होगा। गोष्ठी में डॉ प्रियंका सागर ने आभार जताया।
गौरैया हमारे गांव-घरों की पहचान
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ. ललित जोशी ‘ योगी” ने कहा कि गौरैया का संरक्षण होना चाहिए। पहाड़ी जनजीवन में गौरैया लोगों के घरों में साथ-साथ रहती है। परंपरागत मकानों में घोंसले बनाये जाते रहे हैं। अब गांवों से पलायन हो रहा है। गांवों के मकान वीरान हो रहे हैं, कृषि भूमि बंजर पड़ी है,ऐसे में गिना भी नहीं दिखाई देती। गौरैया को बचाने के लिए हमें प्रकृति के साथ अच्छा व्यवहार अपनाना पड़ेगा। गौरैया को बचाने के लिए प्राकृतिक आवास बनाएं।गौरैया हमारे गांव-घरों की पहचान है।
इस अवसर पर उपस्थित जन
इस अवसर पर डॉ ललित जोशी, डॉ राजेश कुमार, रवींद्र कनवाल, गीता रावत, चंदन, मोहन ढैला, चंदन कनवाल, भावना पंत, नीरज, आशा नगरकोटी, हिमानी, अंजली, करन रसायन विज्ञान विभाग के शोधार्थी, शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।