अखोड़ी गांव की महिलाओं ने आज भी वर्षों से चली आ रही इस प्रथा को रखा है सुरक्षित

अखोड़ी गांव की महिलाओं ने आज भी वर्षों से चली आ रही इस प्रथा को रखा है सुरक्षित

अखोड़ी गांव की महिलाओं ने आज भी वर्षों से चली आ रही प्रथा को बनाए रखा है। रुद्रप्रयाग अगस्त्यमुनि विकास खंड के अखोड़ी गांव में महिला समूह के द्वारा एकत्रित होकर आज भी शादी व्याह व अन्य पूजा पाठ में महिलाओं के द्वारा गांव में एक दूसरे के मदद के लिए जंगलों से लकड़ी लाकर व खाने पीने के राशन की सफाई व कुटाई करके फिर शादी ब्याह व अन्य पूजा में खाना बनाने की प्रथा आज भी प्रचलित है।

निराई गुड़ाई के लिए भी सहयोग किया करती है महिलाएं

ये महिलाएं अपने समूह के द्वारा एक दूसरे के खेतों में निराई गुड़ाई के लिए भी सहयोग किया करती है। जब कोई शादी व्याह या कोई पूजा पाठ में एकत्रित होकर खाना बनाकर अपने समूह के द्वारा सभी खिलाने के लिए भी सहयोग करती है

पलायन को रोकने के लिए अपने स्तर हमेशा प्रयासरत है मीना

50 वर्षीय मीना नौटियाल अखोड़ी गांव महिलाओं को जागरूक करने के लिए व पलायन को रोकने के लिए अपने स्तर हमेशा प्रयासरत हैं। मीना नौटियाल अखोड़ी गांव ही नहीं बल्कि और भी गांवों में भी पतंजलि योग समिति के द्वारा योगा व अन्य स्वास्थ्य संबंधित उपचारों के लिए महिलाओं को अवगत कराती रहती है। मीना नौटियाल योगा प्रशिक्षण के साथ-साथ अपने उत्तराखंड के लोकला व रामलीला मंचन व अभिमन्यु चक्रव्यूह में अलग-अलग प्रकार  के अभिनय भी करती आ रही है।

आज की युवा पीढ़ी के लिए धरोहर

प्रताप सिंह नेगी रीठागाडी दगड़ियों समिति के अध्यक्ष ने बताया उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं का प्राचीन काल से ही कामकाज के साथ-साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम व शादी ब्याह खेती पाती के समय रुपाई, गुड़ाई,निराई में  एक दूसरे के खेतों में मदद करने का सिलसिला हर परिवार की महिलाओं का एकजुट होकर कार्य करने प्रथा आज के युवा पीढ़ी के लिए धरोहर के तौर पर है।

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