स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर है यह पहाड़ी सब्जी, जानें क्यों बढ़ती है ठंडी के मौसम में इसकी डिमांड

Gaderi ki sabji

स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर है यह पहाड़ी सब्जी, जानें क्यों बढ़ती है ठंडी के मौसम में इसकी डिमांड

पहाड़ों में कई सब्जियां और फल ऐसे होते है जो अपने गुणों के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी काफी पसंद किए जाते हैं। आज आपको पहाड़ की एक ऐसी ही सब्जी के बारे में बता रहे हैं जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है और ख़ासकर जाड़ों के दिनों में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है। गुणों से भरपूर इस लोकप्रिय सब्जी को स्थानीय बोली में गडेरी के नाम से जाना जाता है।

गडेरी की सब्जी से होने वाले फायदे

गडेरी की सब्जी फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट भी पाए जाते हैं।
गडेरी की सब्जी खाने से दिल से संबंधित बीमारियां और ब्लड प्रेशर की दिक्कत कम होती है। गडेरी में सोडियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह तनाव को दूर करने के अलावा कैंसर कोशिकाओं को भी विकसित होने से रोकती है। मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है क्योंकि यह इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बनाए रखने में सहयोग करती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। अरबी भूख को नियंत्रित करने का काम भी करती है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाते हैं जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। यह सब्जी पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भी लाभदायक मानी जाती है।

यहां होता है गडेरी और पिनालु का अधिक उत्पादन

गडेरी और पिनालू का उत्पादन सबसे ज्यादा अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत,चमोली गढ़वाल, मुनस्यारी और कुमाऊं के काफी अन्य इलाकों में  भी होता है। इसके नैनीताल जिले में भी गडेरी उगाई जाती है। पहाड़ की गडेरी और पिनालू को प्रदेश और देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कुमाऊं में इसको गडेरी और पिनालू तो गढ़वाल में इसको पिण्डहलु भी बोलते है। और अन्य कई इलाकों में इसे अरबी भी कहा जाता है।

ऐसे उगाई जाती है गडेरी की सब्जी

सबसे पहले खेत की गुड़ाई की जाती है और उसके बाद गडेरी के बीज को जमीन के अंदर रोपा जाता है। गडेरी और पिनालू की सब्जी भूमि के नीचे जड़ के रूप में उपजती है जिसका जमीन से ऊपर का भाग हरा पत्तेदार होता है। गडेरी को धान मड़ाई के बाद और गेहूं की बोआई से पहले गडेरी को खोदा जाता है। गडेरी को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। असिंचित भूमि की गडेरी सिंचित भूमि की गडेरी की तुलना में अधिक स्वादिष्ट और पकने में आसान होती है।

इन अलग अलग तरीकों से खाई जाती है गडेरी की सब्जी

गडेरी और पिनालू की सब्जी पहाड़ में जाड़ों भर खाई जाती है। जाड़ों के मौसम में गडेरी की सब्जी में भांग के दानों को पीस कर डाला जाता है, जिससे सब्जी की तासीर गर्म हो जाती है। गहत की दाल का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें गडेरी डाली जाती है। इसके अलावा लोग इसके पत्तों की पकौड़ी और सब्जी बनाकर खाना पसंद करते हैं। कई जगहों गडेरी को  व्रत में फलाहार के रूप में भी खाया जाता है।

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