संपूर्णता की प्रतीक मां सिद्धिदात्री का पूजन आज, जानें पूजन विधि और कथा


संपूर्णता की प्रतीक मां सिद्धिदात्री का पूजन आज, जानें पूजन विधि और कथा

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री मां के पूजन अर्चना करने से सिद्धि और क्षमता प्राप्त होती है और पूर्णता के साथ सभी कार्य संपन्न होते हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से लौकिक एवं पारलौकिक मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सिद्धि, संपूर्णता का प्रतीक है, इसलिए सिद्धियां प्राप्त होने पर सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं बिना विघ्न-बाधा के पूरी होती हैं। नवरात्रि में देवी की आराधना कर सिद्धि प्राप्त करना जीवन के हर स्तर में संपूर्णता प्रदान करता है। इस शक्ति विग्रह में माता दुर्गा भक्तों को ब्रह्मांड की सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।

भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था

देवी भागवत पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन्हीं की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ और वे लोक में अर्द्धनारीश्वर के रूप में स्थापित हुए। अंतिम दिन भक्त और योगी साधक इन्हीं माता सिद्धिदात्री की शास्त्रीय विधि-विधान से पूजा करते हैं। माता सिद्धिदात्री चतुर्भुज और सिंहवाहिनी हैं। गति के समय ये सिंह पर तथा अचला रूप में कमल पुष्प के आसन पर बैठती हैं। माता के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र और ऊपर वाले हाथ में गदा रहती है। बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख तथा ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प रहता है। कहा जाता है कि केवल नौवें दिन भी कोई एकाग्रता और निष्ठा से इनकी विधिवत पूजा करे तो उसे सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए असंभव नहीं रहता और ब्रह्मांड पर पूरी विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। नौवीं शक्ति की पूजा-अर्चना कर विभिन्न प्रकार के अनाज, जैसे- हलवा, पूरी, चना, खीर, पुए आदि का भोग लगाने से जीवन में सब प्रकार से सुख-शांति का वरदान प्राप्त होता है।

पूजन विधि

इस दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले आदिशक्ति और जगत जननी मां दुर्गा को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई कर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और आमचन कर नवीन वस्त्र धारण करें। अब मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, तिल, जौ, चावल आदि से करें। मां को प्रसाद में हलवा-पूरी भेंट करें। अंत में आरती अर्चना कर जीवन में तरक्की, उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।

इन मंत्रों का करें जप

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

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