हिमालयी लोक संस्कृति, अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन
इतिहास,संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का इतिहास विभाग में समापन हुआ। समापन अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में प्रो वी.डी. एस. नेगी, पद्मश्री डॉ ललित पांडे,विशिष्ट अतिथि के रूप में आशुतोष उर्स स्ट्रेबेल (अनामय आश्रम कौसानी), विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आर.एस. राणा (सिंगापुर, वैज्ञानिक),आयोजक सचिव डॉक्टर गोकुल देवपा आदि ने अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन दिवस पर दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास होने चाहिए
सेमिनार के संयोजक प्रोफेसर वी. डी. एस. नेगी ने अतिथियों को सेमिनार के विभिन्न सत्रों की विस्तार से जानकारी दी। मुख्य अतिथि रूप में परिसर निदेशक प्रोफेसर प्रवीण सिंह बिष्ट में सेमिनार की सफलता के लिए सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हिमालय संस्कृति अपने आप में विराट है इसके संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास होने चाहिए।
पद्मश्री ललित पांडे ने हिमालयी पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर बात रखी।
इससे पूर्व डॉक्टर प्रेम प्रकाश पांडे ने समापन सत्र पर विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही सेमिनार के आयोजन सचिव डॉ गोकुल देवपा ने आभार जताया।
कई सत्र किए गए संचालित
इस अंतराष्ट्रीय सेमिनार में कई सत्र संचालित किए गए जिसमें शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े। इन तकनीकी सत्रों में प्रोफेसर बी एम पांडे, डॉक्टर अश्वनी अस्थाना, डॉक्टर वाई एस फर्स्वाण आदि विषय विशेषज्ञ के रूप में रहे तथा प्रकाश उनियाल, शशि उनियाल आदि ने विचार रखे।सेमिनार ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड़ में संचालित हुआ।
यहां उपस्थित रहे
समापन अवसर पर डॉ आस्था नेगी, डॉ. लक्ष्मी वर्मा, डॉ रवि कुमार, डॉ जया भट्ट, डॉ योगेश मनाली, डॉ राखी वाल्मीकि, चेतन तिवारी, भोला रावत, माला, मानसी जोशी, कविता, डॉ दीपा जलाल, देवेंद्र, कमल जोशी, गीता तिवारी, पूरन जोशी आदि के साथ इतिहास विभाग सहित विभिन्न संकायों के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे।