प्रो. बटरोही को दीर्घकालीन साहित्य गौरव सम्मान तो डॉ. सुशील उपाध्याय को मिलेगा शैलेश मटियानी कथा सम्मान

प्रो. बटरोही दीर्घकालीन साहित्य गौरव सम्मान तो डॉ. सुशील उपाध्याय को मिलेगा शैलेश मटियानी कथा सम्मान

उत्तराखंड भाषा संस्थान ने की वर्ष 2023 के साहित्य गौरव सम्मान की घोषणा

देहरादून। उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा वर्ष 2023 के साहित्य पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। इस बार दीर्घकालीन साहित्य सृजन के लिए साहित्यकार बटरोही को सुमित्रानंदन पंत साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया जाएगा। कथा साहित्य के लिए डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी सम्मान दिया जाएगा।
उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा जारी किए गए विवरण के अनुसार 10 विभिन्न श्रेणियां में प्रदेश के साहित्यकारों को साहित्य गौरव सम्मान के लिए चुना गया है। इन सभी साहित्यकारों को 21 फरवरी को देहरादून में होने वाले समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं भाषा मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इसी अवसर पर संस्थान की पत्रिका केदार मानस का विमोचन किया जाएगा, जिसका संपादन पूर्व कुलपति प्रो. सुधा पांडेय ने किया है।

प्रो. बटरोही को मिलेगा दीर्घकालीन साहित्य गौरव सम्मान


उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस.भदौरिया के अनुसार, दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन पुरस्कार के लिए जाने-माने साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही का चयन किया गया है। इस श्रेणी में लेखक को स्वयं आवेदन नहीं करना होता, बल्कि अन्य लेखकों अथवा विद्वानों द्वारा साहित्यकारों की अनुशंसा की जाती है।
जबकि अन्य श्रेणियों में लेखकों को स्वयं आवेदन करना होता है।इस वर्ष कुमाऊनी लोक साहित्य में दीर्घकालिक साहित्य सृजन के लिए गुमानी पंत पुरस्कार देवकीनंदन भट्ट को प्रदान किया जाएगा। गढ़वाली लोक साहित्य में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए भजन सिंह “सिंह” पुरस्कार गिरीश सुंदरियाल को प्रदान किया जाएगा। कुमाऊनी तथा गढ़वाली से भिन्न बोलियां एवं उप बोलियां में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए गोविंद चातक पुरस्कार डॉ. सुरेश ममगाई को देने का निर्णय लिया गया है।

डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी कथा सम्मान


मौलिक पुस्तक लेखन श्रेणी में कथा साहित्य वर्ग में डॉ. सुशील उपाध्याय को उनके उपन्यास “सुनो, सबरीना” के लिए शैलेश मटियानी पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह उपन्यास एक उज्बेकिस्तानी लड़की के संघर्ष की कहानी है। अब तक डॉ. सुशील उपाध्याय की 18 किताबें प्रकाशित हुई हैं। महाकाव्य, खंडकाव्य एवं काव्य रचना के लिए महादेवी वर्मा पुरस्कार प्रोफेसर शैलेश को देने का निर्णय लिया गया है।
अन्य गद्य विधा की श्रेणी में डॉ. पीतांबर दत्त बड़वाल पुरस्कार के लिए डॉ. ललित मोहन पंत का चयन किया गया है। साहित्यिक पत्र- पत्रिका लेखन हेतु पंडित भैरवदत्त धूलिया पुरस्कार के लिए गणेश खुगशाल को चुना गया है। वे नियमित रूप से साहित्यिक विषयों पर लिखते हैं।
इनके अलावा उर्दू साहित्य में दीर्घकालीन साहित्य लेखन के लिए प्रसिद्ध शायर नदीम बरनी को प्रोफेसर उनवान चिश्ती पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पंजाबी साहित्य में दीर्घकालिक साहित्य सेवा के लिए लेखक प्रेम साहिल को चुना गया है। इन्हें अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इन सभी श्रेणियों में पुरस्कृत लेखकों को सम्मान-पत्र, स्मृति चिह्न एवं निर्धारित राशि भेंट की जाएगी। इस वर्ष युवा लेखन श्रेणी ऐसी रही, जिसमें पर्याप्त संख्या में आवेदन न मिलने के कारण पुरस्कार की घोषणा नहीं की जा सकी।

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