लोक गायक प्रह्लाद सिंह मेहरा को विहान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ने दी श्रद्धांजलि

विहान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के मुख्य सभागार टेरेस थिएटर में उत्तराखंड के दिवंगत लोक गायक प्रह्लाद सिंह मेहरा के चित्र पर पुष्पार्पण कर एवं उनके गीतों की चर्चा की गई। साथ ही उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

मेहरा ने उत्तराखंड के गीतों को ऊंचाइयां प्रदान की
संस्था के निदेशक देवेंद्र भट्ट ने संचालन करते हुए प्रहलाद मेहरा के जीवन से जुड़े अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनका जाना बहुत खलता है। ऐसे कलाकार हमेशा स्मरण रहेंगे।
श्रद्धांजलि देते हुए वरिष्ठ कलाकार दीवान कनवाल ने कहा कि प्रह्लाद मेहरा ने उत्तराखंड के गीतों को ऊंचाइयां प्रदान की हैं। उनके गीतों की पंक्तियां बहुत गहरी रही हैं। उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।


सांग एंड ड्रामा डिवीजन के भाष्कर जोशी ने कहा कि प्रह्लाद मेहरा जी के गीत समाज से जुड़े हैं। कलाकार अजने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहें।
वरिष्ठ कलाकार नारायण सिंह थापा ने कहा कि दिवंगत प्रहलाद मेहरा के गीत हमेशा गाये जाएंगे। उनके जाने से क्षति हुई है।
रंगकर्मी डॉ ललित जोशी ने कहा कि दिवंगत लोकगायक प्रह्लाद सिंह मेहरा के गीतों में पर्वतीय समाज, संस्कृति, समस्याएं, नारी उत्थान की बातें शामिल रहती थीं। उन्होंने परंपरागत गीतों का गायन किया।

प्रह्लाद जी के जाने से लोकगीतों के क्षेत्र में शून्यता आई है


वरिष्ठ रंगकर्मी रमेश लाल ने कहा की प्रह्लाद मेहरा जमीनी कलाकार रहे हैं। वे हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं
वरिष्ठ कलाकार बब्बू आर्या ने कहा कि रामनगर के मंचों में उनकी कई स्मरणीय प्रस्तुतियां उनकी याद दिलाएंगी।
वरिष्ठ रंगजर्मी शीला पंत ने कहा कि प्रह्लाद जी के जाने से लोकगीतों के क्षेत्र में शून्यता आई है।
वर्चुअल रूप से वरिष्ठ रंगकर्मी त्रिभुवन गिरि,आलोक वर्मा, नवीन बिष्ट, मनमोहन चौधरी एवं लोककलाकार महासंघ अध्यक्ष गोपाल चम्याल ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
शोक सभा में लोकगायक दीवान कनवाल ने प्रह्लाद सिंह मेहरा के गीतों को गाया और वरिष्ठ रंगकर्मी नारायण सिंह थापा ने हुड़के पर संगत की।

कई लोग उपस्थित रहें
अंत में सभी कलाकारों ने मौन रखकर दिवंगत कलाकार को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर लोककलाकार संदीप सिंह नयाल, ममता वाणी भट्ट, मनोज चम्याल, प्रियंका चम्याल, रिंकू कुमार, हिमांशु कांडपाल, प्रकाश भट्ट आदि कलाकार उपस्थित रहे।

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