सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; खनिज संपदा वाली जमीन पर राज्यों को टैक्स लगाने का अधिकार

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सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से खनिज-युक्त भूमि पर टैक्स लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा है। इस निर्णय से खनिज संपदा से समृद्ध राज्य जैसे ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान को बड़ी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर टैक्स वसूलने के 25 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने 8:1 के बहुमत के साथ राज्यों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना है कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता।

जस्टिस बीवी नागरत्ना की असहमति

इस पूरे मामले में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने असहमति जताई। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बताया कि बेंच के दो फैसले हैं, जिसमें 8 जजों ने माना है कि राज्य खनिज भूमि पर टैक्स वसूली का अधिकार रखते हैं, जबकि जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 प्रमुख बातें

1. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बहुमत की राय है कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता, यह एक संविदात्मक राशि है।
2. कोर्ट ने कहा है कि खनिजों पर टैक्स लगाने की राज्य की शक्तियों पर कोई पाबंदी नहीं है।
3. जब तक संसद कोई सीमा तय नहीं करती, तब तक राज्यों को खनिज भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है।

खनिज संपदा से समृद्ध राज्यों को राहत

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से खनिज संपदा से समृद्ध राज्य जैसे ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान को बड़ी राहत मिली है। इस निर्णय से राज्यों के पास खनिज वाली भूमि पर कर लगाने की शक्ति बरकरार रहेगी।

25 साल पुराने मामले में फैसला

1989 में तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड केस में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक तरह का टैक्स ही है। इस बहुमत के फैसले के खिलाफ खनिज कंपनियों और विभिन्न सरकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लगभग 85 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर अब यह महत्वपूर्ण फैसला आया है।

9 जजों की बेंच में मामला कैसे पहुंचा?

14 मार्च को 8 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले को साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच को भेजा गया था। 3 जजों की बेंच ने 9 जजों की बेंच को भेजे जाने के लिए 11 सवाल तैयार किए थे, जिनमें टैक्स कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल थे। 2004 में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड मामले में 5 जजों की बेंच ने कहा था कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत समझा गया था। इसके बाद यह मामला 9 जजों की बेंच को भेजा गया था।

इस ऐतिहासिक निर्णय ने न केवल खनिज संपदा वाले राज्यों को राहत दी है, बल्कि भविष्य में खनिज-युक्त भूमि पर टैक्स वसूली की दिशा में भी स्पष्टता प्रदान की है।

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