दो पड़ोसी देशों अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख विवादित क्षेत्र से बड़ी संख्या में मूल निवासियों ने पलायन किया है। अब तक 70 फीसदी आबादी पलायन कर चुकी है और यह इलाका धीरे धीरे खाली होने लगा है।
दो देशों के बढ़ते विवाद के बीच हजारों लोग हुए बेघर
अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र पर काफी समय से विवाद चल रहा है। इसी बीच नागोर्नो-काराबाख की 70 प्रतिशत से अधिक मूल आबादी आर्मीनिया पलायन कर गई है। इस बीच, क्षेत्र की अलगाववादी सरकार ने कहा है कि वह खुद को भंग कर देगी और साल के अंत तक अजरबैजान में गैर मान्यता प्राप्त गणतंत्र का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। आर्मीनिया के अधिकारियों के अनुसार जातीय आर्मीनियाई लोगों का क्षेत्र से रविवार से बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हुआ, जो अभी जारी है। उन्होंने बताया कि अब तक 84,770 से अधिक लोग नागोर्नो-काराबाख छोड़ चुके हैं। जबकि पलायन शुरू होने से पहले इस क्षेत्र की आबादी लगभग 1,20,000 थी।
जिस क्षेत्र से पलायन कर गई 70 फीसदी मूल आबादी,जानिए कहां है यह नागोर्नो-काराबाख?
अजरबैजान ने क्षेत्र में मूल आर्मीनियाई लोगों के अधिकारों का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताई है। नागोर्नो-काराबाख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अजरबैजान के संप्रभु क्षेत्र के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई थी। नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान का एक क्षेत्र है जो कि 1994 में खत्म हुई अलगवावादी लड़ाई के बाद आर्मीनियाई सेना के समर्थन से जातीय आर्मीनियाई बलों के नियंत्रण में आ गया था। वर्ष 2020 में छह सप्ताह के युद्ध के दौरान अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख के आसपास के क्षेत्रों के अलावा उन क्षेत्र के कुछ हिस्सों को भी वापस ले लिया था, जिस पर जातीय आर्मीनियाई बलों ने पूर्ववर्ती संघर्ष में कब्जा कर लिया था।
अजरबैजान ने आर्मीनिया पर की थी आक्रामक कार्रवाई
हाल में अजरबैजान ने अपने से अलग हुए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए आक्रामक कार्रवाई की थी और नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनियाई सैनिकों से अपने हथियार डालने तथा अलगाववादी सरकार से खुद को भंग करने के लिए कहा था। इसके बाद नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार ने यह ऐलान किया। इस संबंध में क्षेत्र के अलगाववादी राष्ट्रपति सैमवेल शेखरामनयन ने एक अधिसूचना पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत अजरबैजान नागोर्नो-काराबाख के निवासियों को ‘स्वतंत्र, स्वैच्छिक और बिना रोकटोक आवाजाही’ की अनमुति देगा और बदले में आर्मीनिया में सैनिकों को अपने हथियार सौंपने होंगे।